Book Title: Jain Ganitanuyog
Author(s): Vijayshree Sadhvi
Publisher: Vijayshree Sadhvi

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Page 118
________________ 3. | A. 5. 6. 9. अढाई द्वीप का पूर्व से पश्चिम तक 45 लाख योजन का माप 1. पुष्करार्ध द्वीप के 2 वनमुख प्रत्येक 11,688 यो. के x 2 _ = 23,376 2.|| पुष्करार्ध द्वीप के 32 विजय,1,9791/4 यो. के x 32 = 6,33,416 पुष्करार्ध द्वीप के 16 वक्षस्कार प्रत्येक 2,000 यो. के x 16 = 32,000 पुष्करार्ध द्वीप के 12 अंतरनदी, प्रत्येक 500 यो. के x 12 = 6,000 पुष्करार्ध द्वीप के 2 मेरू के 2 वन, प्रत्येक 4,40,916 यो. के x 2 = 8,81,832 पुष्करार्ध द्वीप के अंदर के 2 वनमुख, प्रत्येक 11,676 यो. के x 2 = 23,352 7. अढाई द्वीप में दो द्वीप दो समुद्र की 78 जगती प्रत्येक 12 यो. केx8 = 96 8. कालोदधि समुद्र दोनो ओर 8-8 लाख यो. = 16,00,000 धातकी खंड के दोनों ओर के 4 वनमुख, प्रत्येक 11,664 यो. x4 = 23328 धातकी खंड की 32 विजय, प्रत्येक 96033/8 यो. x 32 = 307308 11. धातकी खंड के 16 वक्षस्कार, प्रत्येक 1000 यो. x 16 = 16000 12. धातकी खंड के 12 अंतरनदी, प्रत्येक 250 यो. ग 12 ध = 3000 13. धातकी खंड के 2 मेरू के भद्रशालवन, प्रत्येक 2,25,158 यो. x 2 = 450316 14. लवणसमुद्र दोनो ओर 2-2 लाख योजन = 4,00,000 15. जंबूद्वीप की दोनो ओर की जगती 2910 यो. x 2 = 5,820 16. जंबूद्वीप के महाविदेह की 16 विजय, प्रत्येक कुछ कम 2213 यो. x 16 = 35,406 17. जंबूद्वीप के 8 वक्षस्कार, प्रत्येक 500 यो. x8 = 4,000 18. जंबूद्वीप की 6 अंतरनदी, प्रत्येक 125 यो. x 6 =750 19. जंबूद्वीप का मेरू और भद्रशालवन कुल = 54,000 इस प्रकार पूर्व-पश्चिम अढ़ाई द्वीप की कुल लम्बाई = 45,00,000 योजन अढाई द्वीप का दक्षिण से उत्तर तक 45 लाख योजन का माप पुष्करार्ध द्वीप के दोनों ओर के 2 इक्षुकार पर्वत, प्रत्येक 8 लाख योजन के x 2 = 16,00,000 योजन | | 2. | कालोदधि समुद्र दोनों ओर 8-8 लाख योजन = 16,00,000 योजन धातकीखंड के 2 इक्षुकार पर्वत, प्रत्येक 4 लाख योजन x 2 = 8,00,000 योजन लवण समुद्र के दोनो ओर के 2-2 लाख योजन = 4,00,000 योजन दक्षिण भरतार्द्ध और दक्षिण ऐरावतार्द्ध, प्रत्येक 2293/19 योजन x 2 = 4586/19 योजन वैताढ्य पर्वत (भरत क्षेत्र + ऐरावत क्षेत्र) प्रत्येक 50 योजन x 2 = 100 योजन 7. अयोध्या नगर की चौड़ाई (द. भरतार्द्ध + उ. ऐरावतार्द्ध) प्रत्येक 9 योजन x 2 = 18 योजन उत्तर भरतार्द्ध और उत्तर ऐरावतार्द्ध प्रत्येक 2383/19 योजन x 2 = 476deg/19 योजन 1. पुष्करा द्वीप की जगती पुष्करद्वीप पूर्ण होने पर आती है, अत: उसकी गणना यहाँ नहीं की। NON 96AAAAAAAAसचित्र जैन गणितानुयोग 1

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