Book Title: Jain Ganitanuyog
Author(s): Vijayshree Sadhvi
Publisher: Vijayshree Sadhvi

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Page 183
________________ परिधि. जम्बूद्वीप की 3,16,227 योजन से कुछ अधिक जम्बूद्वीप का क्षेत्रफल || 7905694150 योजन / दक्षिणार्ध भरत की जीवा 9,74812119 जीवा क्षेत्रफल दक्षिणार्ध भरत क्षेत्र की ईषु साधिक 2383/19 योजन दक्षिणार्ध भरत का धनुःपृष्ठ साधिक 9,7661/19 योजन उत्तरार्ध भरत क्षेत्र की बाह्य पूर्व पश्चिम 1,892772/19 योजन लम्बी बाहा भरत क्षेत्र में बाहा आदि आकृति बाहा जीवा घन चित्र क्र. 101 धनु:पृष्ठ ज्यामितिक आकृतियाँ-जैन आगमों में लोक स्वरूप का वर्णन करते हुए सूर्य, चन्द्र, नक्षत्र, द्वीप, समुद्र आदि के वर्णन में क्षेत्र-गणित की अलग-अलग ज्यामितीक आकृतियों की विशद चर्चा हुई है। सूर्यप्रज्ञप्ति' (300 ई.पू.) में आठ प्रकार के चतुर्भुजों का उल्लेख किया है जैसे-समचतुम्र, | विषमचतुरस्त्र, समचतुष्कोण, विषमचतुष्कोण, समचक्रवाल, विषमचक्रवाल, चक्रार्धचक्रवाल, चक्राकार। | (चित्र क्रमांक 102) सचित्र जैन गणितानुयोग 161

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