Book Title: Jain Ganitanuyog
Author(s): Vijayshree Sadhvi
Publisher: Vijayshree Sadhvi

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Page 184
________________ आठ प्रकार के चतुर्भुज समचतुस्र विषमचतुस्र समचतुष्कोण विषमचतुष्कोण 6 समचक्रवाल विषमचक्रवाल चक्रार्धचक्रवाल चक्राकार चित्र क्र. 102 त्रिभुज, चतुर्भुज, आयत, वृत्त, और दीर्घवृत्त (Ellipse) इन आकृतियों के लिये ग्रन्थों में क्रमशः त्रिस्त्र, चतुत्र, आयत, वृत्त तथा परिमण्डल ये नाम दिये गये हैं। (चित्र क्रमांक 103) चतुर्भुज त्रिभुज आयत दीर्घवृत्त चित्र क्र. 103 इन क्षेत्रों के प्रतर और घन-ये दो भेद बताकर अनुयोगद्वारसूत्र' में बड़ी सूक्ष्म चर्चा की है। घनत्रियस्त्र, घनचतुत्रं, घनायत, घनवृत्त तथा घनपरिमण्डल का आशय क्रमशः त्रिभुजाकार सूचीस्तम्भ, घन, आयताकार ठोस, गोला और दीर्घवृत्तकार बेलन से है। इनकी आकृतियाँ इस प्रकार हैं-(चित्र क्रमांक 104) 1 घनत्रियस्त्र 2 घनचतुस्त्र घनायत 162 C सचित्र जैन गणितानुयोग

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