Book Title: Jain Ganitanuyog
Author(s): Vijayshree Sadhvi
Publisher: Vijayshree Sadhvi

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Page 199
________________ चन्द्र का तापमान 137 सेंटीमीटर है। चन्द्र के मार्ग में तापमान 117 सेंटीमीटर है। चन्द्र की सतह पर गुरूत्वाकर्षण पृथ्वी का छठा अंश है। पृथ्वी पर जिस वस्तु का 27 किला वजन है, वह चन्द्र पर 4-5 किलो होता है। चन्द्र का विस्तार पृथ्वी का सौंवा अंश है और उसकी लम्बाई पृथ्वी का पाँचवाँ भाग है। चन्द्र की गति प्रतिघंटा 3669 किलोमीटर है। चन्द्र को पृथ्वी की परिक्रमा करने में 27 दिन 7 घंटा और 43 मिनिट लगता है, क्योंकि वह लगभग इसी गति से अपनी जगह पर घूमता है। ___ चन्द्र के पश्चात् अनुक्रम से शुक्र, बुध, मंगल, गुरू और शनि आदि ग्रह हैं, ये सभी हमारी पृथ्वी के समान ही भूमण्डल वाले हैं तथा सूर्य की परिक्रमा करते हैं और सूर्य के ही प्रकाश से प्रकाशित होते हैं। इन ग्रहों में कोई भी जीवधारी प्राणी नहीं रहता, क्योंकि वहाँ का वायुमण्डल जीवन के साधनों से विपरीत है। __सूर्यमण्डल-इन ग्रहों के पश्चात् पृथ्वी से लगभग साढ़े 9 करोड़ मील दूर सूर्यमंडल है, वह पृथ्वी से 15 लाख गुना बड़ा है, अर्थात् हमारी पृथ्वी जैसे लगभग 15 लाख भूमण्डल उसमें समा जाय उतना विशाल है। सूर्य का व्यास 8,60,000 मील है। यह महाकाय सूर्यमंडल आग का साक्षात् गोला है इसकी ज्वाला लाखों मील दूर तक दिखाई देती है। सूर्य की ज्वालाओं से करोड़ों मील विस्तार वाले सौरमंडल में प्रकाश एवं उष्णता का अनुभव होता है। सूर्य की भूमि पर 10,000 फेरन हीट गरमी है। 'जेम्स जीन्स' नामक वैज्ञानिक का मत है कि, पृथ्वी, बुध, गुरू आदि ग्रह और उपग्रह सूर्य से ही पृथक् हुए टुकड़े हैं, जो आज तक भी सूर्य के आकर्षण से आकर्षित हुए उसी के आस-पास घूम रहे हैं। अपनी पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा 3657 दिन में तथा प्रत्येक चतुर्थ वर्ष में 366 दिन में पूर्ण करती है। इसी के आधार पर यहाँ, दिन महीना और वर्ष का व्यवहार होता है। हमारी पृथ्वी प्रति घंटा 60 मील की गति से सूर्य की परिक्रमा करती है, इस कारण दिन और रात होते हैं। पृथ्वी का जो गोलार्द्ध सूर्य के सामने होता है, वहाँ दिन और शेष गोलार्द्ध में रात्रि होती है। तारे तथा प्रकाश वर्ष-यद्यपि आकाश में सूर्य जैसा विशाल ज्योति मंडल अन्य दृष्टिगोचर नहीं होता, किन्तु यहाँ से बहुत नन्हें दिखाई दे रहे तारों में भी कोई-कोई तारा सूर्य के बराबर और कई तारे तो सूर्य से भी अधिक विशाल हैं, वे सूर्य से सैंकड़ों, हजारों, लाखों गुना बड़े हैं। सूर्य से भी अधिक दूरी होने के कारण वे हमें छोटे-छोटे दिखाई देते हैं। ज्येष्ठा नक्षत्र इतना विशाल है कि उसमें 7 नील (सात के आगे 13 बिंदु) पृथ्वियाँ समा सकती हैं। तारों का अंतर समझने के लिये हमारे संख्यावाचक शब्द काम नहीं करते, इसके लिये वैज्ञानिकों ने 'प्रकाश गति' को माप बनाया है। प्रकाश की गति प्रति सैकंड 1 लाख 86 हजार मील तथा प्रत्येक मिनट में 1 करोड़ 11 लाख 60 हजार मील की है। इस प्रमाण से सूर्य के प्रकाश को हमारी पृथ्वी तक पहुँचने में साढ़े आठ मिनट लगते हैं, तारामंडल हमारी पृथ्वी से इतना दूर है कि इनका प्रकाश हमारे यहाँ तक पहुँचने में वर्षों लग जाते - हैं। जितने वर्षों में उनका प्रकाश यहाँ पहुँचता है, उतने ही प्रकाश वर्ष दूर वह तारा कहा जाता है। संचूरी' नाम का तारा जो पृथ्वी के सर्वाधिक निकट है, वह हमारे से साढ़े 4 प्रकाश वर्ष दूर है क्योंकि उसका प्रकाश यहाँ तक आने में इतना ही समय लगता है। इसी प्रकार कोई तारा 10, कोई 20 कोई 50 यहाँ तक कि कोई-कोई तारा तो हमारी धरती से 10 लाख प्रकाश वर्ष दूर है, और वे तारे सूर्य से भी लाखों गुना बड़े हैं। सचित्र जैन गणितानुयोग 177

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