________________ ऊँचाई 124 योजन सूर्य ज्योतिष्क सूर्य विमान तारा मंडल से 10 योजन ऊपर एवं समभूतला पृथ्वी से 800 योजन ऊपर सूर्य के विमान हैं। ये एक योजन के 61 भाग में से 48 भाग लम्बे-चौड़े और 24 भाग ऊँचे हैं। सूर्य विमानवासी देव स्वर्ण की तरह लाल वर्ण वाले उत्कृष्ट एक पल्योपम और एक हजार वर्ष की आयु वाले होते हैं। इनकी देवियों की आयुष्य जघन्य पाव पल्योपम और उत्कृष्ट आधा पल्योपम एवं 500 वर्ष की है। इनके मुकुट में 'सूर्य' का चिह्न होता है। सूर्य के विमान को 16,000 देव उठाते हैं। सूर्य विमान के लम्बाई 148 योजन पृथ्वीकायिक जीवों के आतप नामकर्म का उदय चित्र क्र.69 है। इस कारण मूल में शीतल होते हुए भी उसकी प्रभा 'किरणें गर्म होती है। (चित्र क्रमांक 69) सूर्य का वर्तुलाकार मंडल सूर्यमंडल-सूर्य का मेरु की प्रदक्षिणा का वर्तुलाकार नियत मार्ग सूर्यमंडल कहा जाता है। यह सूर्यमंडल वास्तविक रूप में सम्पूर्ण मण्डलाकार नहीं है। क्योंकि जिस क्षेत्र की समश्रेणी से वर्तुलाकार गति प्रारम्भ कर पुनः उसी क्षेत्र पर आ जाय, उसे वास्तविक मंडल कहते हैं। सूर्य प्रत्येक अर्ध प्रदक्षिणा में दो योजन और एक प्रदक्षिणा पूर्ण होने पर 4 योजन दर चला जाता है। अतः सूर्य मंडल सम्पूर्ण वर्तल (गोल) नहीं है, वर्तुल सदृश होने से मंडल' कहा गया है। (चित्र क्रमांक 70) सूर्य मण्डल का क्षेत्र-कुल सूर्य मण्डल 184 हैं। उसमें से 65 चित्र क्र.70 सूर्य मंडल जम्बूद्वीप के ऊपर और 119 मण्डल लवण समुद्र के ऊपर है। जम्बूद्वीप के 65 मंडलों में से 63 जीवा कोटी के ऊपर सूर्य मंडल मंडल निषध और नीलवंत पर्वत के ऊपर है। 2 मंडल हरिवर्ष और रम्यक् वर्ष क्षेत्र की जीवा कोटी पर है। प्रत्येक दिशावर्ती व्यक्ति अपनी-अपनी दिशा के आधे मंडल को ही देखता है। (चित्र क्रमांक 71) 0 सूर्य के बाह्य-आभ्यन्तर मण्डल एवं परिक्रमा परिमाण-सूर्य-चन्द्र के वृत्ताकार भ्रमण क्षेत्र को 'मण्डल' कहा जाता है। मेरूपर्वत के सबसे चित्र क्र.71 मिरु पर्वत निषध पर्वत हरिवर्ष क्षेत्र की जीवा हरिवर्ष क्षेत्र 108 Aasaas सचित्र जैन गणितानुयोग