________________ के विमान से होती है। अर्थात् शनि ग्रह मध्यलोक में सबसे ऊपर स्थित है। उसके बाद ऊर्ध्वलोक का क्षेत्र आरम्भ हो जाता है। वाहन जाति के ज्योतिषी देव-मनुष्यलोकवर्ती ज्योतिष्क-विमान यद्यपि स्वयं गमन-स्वभावी है, तथापि आभियोग्य जाति के देव; सूर्य चन्द्रादि विमानों को गतिशील बनाये रखने में निमित्त-स्वरूप हैं। ये देव सिंह, गज, बैल और अश्व का आकार धारण कर और क्रमशः पूर्वादि चारों दिशाओं में संलग्न रहकर सूर्यादि को गतिशील बनाए रखते हैं। इस कार्य को करने में वे अपना गौरव समझते हैं कि सम्पूर्ण लोक में प्रसिद्ध चन्द्र-सूर्य जैसे इन्द्रों के हम सेवक हैं। अतः स्वजाति या अन्य को समृद्धि दिखाने के लिए वे सिंहादि का रूप धारण कर प्रसन्न भाव से वाहन का कार्य करते हैं। इनमें चन्द्र व सूर्य विमान के चारों दिशाओं के वाहक देव 16-16 हजार हैं, ग्रह के 8 हजार, नक्षत्र के 4 हजार और तारा के 2 हजार हैं। ये वाहक देव पूर्व में सिंह का रूप धारण करके चलते हैं, दक्षिण में हस्ति, पश्चिम में वृषभ और उत्तर दिशा में अश्व रूप को धारण करके चलते हैं। परिधि 'नाम चन्द्र सूर्य ग्रह नक्षत्र तारा ज्योतिषियों का आयाम-विष्कम्भ, परिधि एवं बाहल्य (ऊँचाई) आयाम विष्कम्भ ऊँचाई 56/61 योजन 5 6/61 x 3 योजन 28/61 योजन 48/61 योजन | 48/61 x 3 योजन | 24/61 योजन 2 कोस 1/2 3 योजन 1कोस 1 कोस 1x3 योजन 1/2 कोस 1/2 कोस 1/2x3 योजन -500 धनुष ये विमान ऊँचाई में अपने-अपने आयाम-विष्कंभ से अर्द्धप्रमाण वाले हैं। अर्थात् चन्द्र का विमान एक योजन के 61 भाग में 28 भाग प्रमाण, सूर्य का 24 भाग, ग्रह के 1 कोस, नक्षत्र के आधे कोस और तारा के 500 धनुष ऊँचे हैं। चर-अचर ज्योतिष्क-अढ़ाई द्वीप के सभी चन्द्र और सूर्य पाँचों मेरु पर्वतों के चारों ओर सदा भ्रमण करते रहते हैं, अतः उन्हें चर ज्योतिष्क कहते हैं। अढ़ाई द्वीप के बाहर असंख्यात द्वीप-समुद्रों के ज्योतिष्क विमान, सदैव स्थिर रहते हैं, अत: उन्हें अचरज्योतिष्क कहते हैं। अचर ज्योतिष्क विमानों की लम्बाई-चौड़ाई तथा ऊँचाई चर ज्योतिष्क विमानों से आधी है, उनका तेज भी मंद है, जैसा अढ़ाई द्वीप के सूर्य व चन्द्र का उदित होने के समय तेज होता है, वैसा हल्का तेज वहाँ के सूर्य-चन्द्र का सदैव रहता है। अढ़ाई द्वीप के भीतर के विमानों का आकार अर्द्ध फल-कवीठ, अमरूद आदि के समान नीचे से गोल और ऊपर से सम है। अढाई द्वीप के बाहर के ज्योतिष्क विमान ईंट के आकार के हैं। लम्बाई में अधिक और चौड़ाई में कम हैं। इन विमानों में कभी भी राहु का योग नहीं होता, अत: ग्रहण आदि भी नहीं लगता। अढाई द्वीप में कुल ज्योतिष्क संख्या-एक सूर्य-चन्द्र के परिवार में 88 ग्रह, 28 नक्षत्र और 66,975 कोटाकोटी तारे हैं। जम्बूद्वीप में दो सूर्य-चन्द्र के परिवार की संख्या को क्रमशः गिनने पर (88 x 2 =) 176 130 सचित्र जैन गणितानुयोग