________________ 29. प्रतिमण्डल में सूर्य विमान 144-48/61 योजन क्षेत्र को रोकता है। 30. जम्बूद्वीप में सूर्य के 184 मण्डल के आंतरे 183 हैं व इनका क्षेत्र 366 योजन है। 131. सूर्य को एक मण्डल पूर्ण करने में 30 मुहूर्त लगते हैं। 32. एक युग 5 संवत्सर का होता है। एक युग में 60 सूर्य मास होते हैं। 33. एक सूर्य मास 30 अहोरात्रि का होता है एवं एक युग की 1830 अहोरात्रि होती है। 34. एक युग में सूर्य पक्ष 120 व सूर्य अयन 10 होते हैं। 35. सूर्य के उत्तरायण या दक्षिणायन की अहोरात्रियाँ 183 होती हैं एवं एक ऋतुमास या कर्कमास की 30 अहोरात्रि होती है। 36. एक युग में सूर्य 5 बार सर्वनक्षत्रों का भोग करता है। 28 नक्षत्रों में सर्वप्रथम सूर्य नक्षत्र पुष्य है। 37. नक्षत्र क्षेत्रांश को सूर्य एक दिन-रात में 150 योजन स्पर्श करता है। एक मुहूत्त में सूर्य 5 नक्षत्र क्षेत्रांश का अतिक्रमण करता है। 38. एक सूर्यमुहूर्त में चन्द्र मुहूर्त का प्रमाण 13-2/5 होता है। 0 चन्द्र विषयक ज्ञातव्य बिन्दु 1. चन्द्र का सर्वमण्डल क्षेत्र चक्रवाल विष्कंभ में 510-48/61 योजन है। वह जंबूद्वीप के अन्दर 180 योजन और लवण समुद्र में 330-48/61 योजन है। चन्द्र का प्रथम आभ्यन्तर मण्डल मेरु पर्वत से 44,820 योजन दूर तथा अंतिम मण्डल 45,330 योजन दूर 3. प्रत्येक चन्द्रमंडल के विमान का क्षेत्र 56/61 योजन हैं। 4. सबसे पहले चन्द्रमण्डल की परिधि (गोल घेरा) 3,15,089 योजन तथा विष्कंभ 99,640 योजन है। सर्वबाह्य मण्डल की परिधि 3,18,315 योजन है। 5. पहले चन्द्रमण्डल में एक चन्द्र से दूसरे चन्द्र का अन्तर 99,640 योजन बाह्य मण्डल में 1,00,660 योजन 6. प्रत्येक चन्द्र का मण्डल पूर्व के चन्द्रमण्डल से 35-30/61,4/7 योजन है। 7. चन्द्र-चन्द्र की अन्तरवृद्धि 72 योजन (51-1/7/61) है। कर्क संक्रांति से प्रथम दिन मेरु के पास चन्द्र प्रकाश का विष्कंभ 63,245-6/10 योजन है तथा मकर संक्रांति के प्रथम दिवस 94,868-2/10 योजन है। 9. मकर संक्रांति के प्रथम दिवस प्रथम मण्डल में प्रकाश विष्कंभ 94,256-42/60 योजन है एवं सर्वबाह्य मंडल में प्रकाश 95,494-1/2 योजन है। 10. चन्द्रप्रकाश की सम्पूर्ण लम्बाई 78,333-1/3 योजन है, जो जम्बूद्वीप में 45,000 योजन व लवण समुद्र में 33,333-1/3 योजन है। 11. चन्द्र के जम्बूद्वीप में 5 एवं लवण समुद्र में 10 इस प्रकार कुल 15 मण्डल व 14 आंतरे हैं। सचित्र जैन गणितानुयोग 137 1 137