________________ हजार 285 देवियाँ उत्पन्न होकर च्यवित हो जाती हैं। एक इन्द्र इतने समय तक पूरे देवलोक पर आधिपत्य करता हुआ विचरता है। सम्पूर्ण देवलोकों में चारों निकायों के कुल मिलाकर 64 इन्द्र हैं-उत्तरेन्द्र भवनपति 10, दक्षिणेन्द्र भवनपति 10, उत्तरेन्द्र वाणव्यंतर 16, दक्षिणेन्द्र वाणव्यंतर 16, चन्द्र ज्योतिष्केन्द्र 1, सूर्य ज्योतिष्केन्द्र 1, 1 से 8 वैमानिक देवलोक में 8, 9 व 10वें देवलोक का 1 (प्राणतेन्द्र), 11 व 12वें देवलोक का 1(अच्युतेन्द्र) = 64 इन्द्रों का स्वामी अच्युतेन्द्र होता है। देवियों की उत्पत्ति, स्थिति व प्रकार-देवियों की उत्पत्ति, भवनपति, वाणव्यंतर, ज्योतिषी और वैमानिक के दो देवलोकों तक होती है। अतः ये सभी देव-देवियों के साथ सप्रविचारी (सविषयी) होते हैं। किन्तु दो देवलोकों के ऊपर देवियों की उत्पत्ति नहीं होने के कारण वे सभी देव अपनी स्वदेवियों से रहित होते हैं, तथापि आठवें सहस्रारकल्प तक देवियों का आवागमन होता रहता है उसके बाद दसवें से बारहवें अच्युत देवलोक तक के देव भी सप्रविचारी ही होते हैं अर्थात् मन से विषय भोग की कामना करने वाले होते हैं। वे सौधर्म और ईशान दो देवलोक की अपरिगृहीता देवियों के साथ विषय भोग करते हैं। परिगृहीता देवियाँ अपने देवों में ही अनुरक्त होती हैं, अत: वे ऊपर के देवलोकों में नहीं जातीं। केवल अपरिगृहीता देवियाँ ही जाती हैं। इस प्रकार उत्पत्ति की अपेक्षा से पहले दूसरे देवलोक में दो प्रकार की देवियाँ हैं-1. परिगृहीता, 2. अपरिगृहीता। परिगृहिता अर्थात् सद्आचरण वाली, कुलीन, मर्यादित जीवन जीने वाली देवियाँ और अपरिगृहीता अर्थात् वेश्या के समान स्वेच्छाचारिणी देवियाँ। सौधर्म देवलोक में अपरिगृहीता देवियों के उत्पत्ति स्थानभूत 6 लाख विमान हैं तथा ईशान देवलोक में 4 लाख विमान हैं। इन विमानों में जिन देवियों की परिपूर्ण एक पल्योपम की स्थिति है, वे सौधर्म देवों के ही भोग में आती है। इससे अधिक दस पल्योपम तक की स्थिति वाली देवियाँ सनत्कुमार देवों के भोग में आती है। दस पल्योपम से अधिक आयुष्य वाली देवियाँ तीसरे देवलोक से आगे माहेन्द्र देवलोक के देवों के पास जाना पसंद करती है। इस प्रकार किस आयु वाली देवियाँ कौन-से देवलोक तक भोग्य है, इसे चार्ट से समझेंकितनी आयुकी देवी कौन-से देव के भोग्य कितनी आयु की देवी / / कौन-से देव के भोग्य 1पल्योपम 1. सौधर्म देव भोग्य 30 पल्योपम 7. महाशुक्र देव भोग्य साधिक 1 पल्योपम - | 2. ईशान देव भोग्य ___35 पल्योपम 8. सहस्रार देव भोग्य 10 पल्योपम 3. सनत्कुमार देव भोग्य ___40 पल्योपम 9. आनत देव सेव्य 15 पल्योपम 4. माहेन्द्र देव भोग्य ___45 पल्योपम 10. प्राणत देव सेव्य 20 पल्योपम 5. ब्रह्मकल्प देव भोग्य 50 पल्योपम 11. आरण देव सेव्य 25 पल्योपम 6. लांतक देवभोग्य / 55 पल्योपम 12. अच्युत देवसेव्य न्योपम 6 152 सचित्र जैन गणितानुयोग