________________ सर्व मण्डल संख्या 184 आंतरा 183 उत्तर पश्चिम -- पूर्व सर्व बाहा मंडल दक्षिण यो. यो A . यो. 2262724 सर्वाभ्यन्तर मडल (51048/61 -14448/61) = 366 सूर्य मण्डल के मध्य अंतर योजन शेष रहते हैं। उनको सूर्य के आंतरे 183 से भाग देने पर (366 : 183 = 2) दो योजन प्राप्त होता है। यही प्रत्येक मंडल के मध्य का अंतर हुआ। (चित्र क्रमांक 84) दो सूर्यों के मध्य अंतर का से ख के बीच सूर्य 44,820 योजन पूर्व-पश्चिम या उत्तर का चार क्षेत्र 51048 योजन और मोटाई ही है दक्षिण, दोनों ओर जम्बूद्वीप की लवण समुद्र सीमा से सर्वाभ्यन्तर मंडल 180-180 योजन अंदर है। दोनों जम्बू द्वीप ओर की जोड़ (180 + 180 =) 360 योजन है। जम्बूद्वीप के 1 लाख योजन व्यास में से 360 निकाल देने पर (1,00,000-360 = ) 99,640 योजन प्राप्त होता है। यह सर्वाभ्यन्तर मंडल में रहे हुए एक सूर्य से दूसरे सूर्य की दूरी है अथवा सर्वाभ्यन्तर प्रथम मंडल की लम्बाई-चौड़ाई है। इसी प्रकार सर्वबाह्य मंडल लवण समुद्र में 330 योजन दूर है। जम्बूद्वीप के व्यास में दोनों ओर के (330 + 330 =) 660 योजन जोड़ देने पर (1,00,000 + 660 =) 1,00,660 योजन होते हैं। यह सर्वबाह्य मंडल में रहे हुए दो सूर्यों के मध्य की दूरी है अथवा सर्वबाह्य मंडल की लम्बाई-चौड़ाई है। (चित्र क्रमांक 85) दोनों सूर्यों के मध्य अंतर अथवा मंडल की लंबाई चौड़ाई चित्र क्र.84 सर्वबाह्य मंडल मेरुपर्वत .510 योजन - 0 सर्वाभ्यंतर प्रथम मंडल -510 योजन 10000 या. 99640 यो. 199640 यो. सर्वबाह्य मंडल -100660 योजन चित्र क्र.85 118 A HARAAAAएचित्र सैन गणिलालशोए 3