________________ उत्तर पश्चिम पश्चिम से पूर्व दक्षिण दक्षिण -800 यो. 800 यो उत्तर विभाग (दिन) रात्रि रात्रि पश्चिम विभाग (दिन) पूर्व विभाग (दिन) रात्रि दक्षिण विभाग (दिन उत्तर मक पर्वत पर्व सूर्य निषध पर्वत प्रकाशमान है, तथापि जहाँ जम्बूद्वीप में दिन-रात्रि का विभाग करते दो सूर्य / दिखाई देता है उस प्रदेश में उदय और जहाँ नहीं दिखाई देता हो, वहाँ अस्त मानने का व्यवहार है। (चित्र क्रमांक 74-75) | रात्रि-दिवस की हानि-वृद्धि का प्रमाण-सूर्य 366 दिवस में सर्वाभ्यन्तर मंडल से सर्वबाह्य मंडल में और सर्वबाह्य मंडल से | चित्र क्र.74 सर्वाभ्यन्तर मंडल की सर्वाभ्यन्तर मंडल में स्थित सूर्य का विविध अंतर पर परिक्रमा पूर्ण करता है। जब प्राप्त होता उदयास्त समय का अन्तरमान सूर्य सर्वाभ्यन्तर मंडल में होता है तब 18 मुहूर्त का दिन एवं 12 मुहूर्त की रात्रि होती है। इस दिन से वर्ष प्रारम्भ होता है। इस प्रथम दिन के प्रथम चक्कर में सूर्य दूसरे मंडल में चला जाता है। फिर जैसे-जैसे बाह्यमंडल की ओर गमन करता है वैसे-वैसे दिवस के चित्र क्र.75 परिमाण में 2/61 भाग की हानि और रात्रि के प्रमाण में 2/61 भाग की वृद्धि होती है। - इसी प्रकार सूर्य जब सर्वबाह्यमंडल में वर्तमान होता है तब 12 मुहूर्त का दिन और 18 मुहूर्त की रात्रि होती है। फिर जैसे-जैसे सर्वाभ्यन्तरमंडल की तरफ गमन करता है वैसे-वैसे दिन में वृद्धि और रात्रि में हानि होती है। हानि-वृद्धि का प्रमाण मुहूर्त के 2/61 भाग जितना होता है। प्रथम 6 मास में दिन घटता है और रात्रि बढ़ती है। दूसरे 6 मास में दिन बढ़ता है और रात्रि घटती है। जब सूर्य 183 मंडल में से 917वें मंडल पर अथवा कुल 184 मंडल के 927वें मंडल पर परिभ्रमण करता है, तब 15 मुहूर्त की रात्रि और 15 मुहूर्त का दिन होता है। / पौष मास में सबसे बड़ी रात 18 मुहूर्त की होती है और आषाढ़ मास में सबसे बड़ा दिन 18 मुहूर्त का होता है, यह सामान्य कथन है। हिन्दू ज्योतिष गणित के अनुसार आषाढ़ में कर्क संक्राति को सबसे बड़ा दिन और सचित्र जैन गणितानुयोग 111 महा हिमवंत पर्वत लघु हिमवंत पर्वत वैताढय उ पर्वत दक्षिण