________________ - सूर्य बुध शुक्र ज्योतिष्क चक्र की समपृथ्वी से ऊँचाई ज्योतिष्क देव समपृथ्वी से ऊँचाई ज्योतिष्क विमान से ऊँचाई तारामंडल 790 योजन 10 योजन ___800 योजन तारामंडल से 80 योजन चन्द्र 880 योजन 4 योजन | कितने ही नक्षत्र मंडल | 884 योजन चन्द्र 4योजन ग्रह मंडल में बुधादि ग्रह / 888 योजन नक्षत्र 3 योजन शुक्रादि ग्रह .891 योजन 3 योजन | बृहस्पति आदि ग्रह ___894 योजन 3 योजन मंगल आदि ग्रह 897 योजन बृहस्पति 3 योजन शनि आदि ग्रह / 900 योजन मंगल ज्योतिष्क के मंडल मेरुपर्वत की प्रदक्षिणा करता ज्योतिष चक्र समपृथ्वी से 790 योजन ऊपर से प्रारम्भ करके 900 योजन तक अर्थात् 110 योजन क्षेत्र में ये ज्योतिषी देव है। अढ़ाई द्वीप में इन पाँचों प्रकार के देवों के विमान मेरु पर्वत की प्रदक्षिणा करते हुए परिभ्रमण करते हैं। इनमें सूर्य और चन्द्र की प्रदक्षिणा का मार्ग सम्पूर्ण मंडलाकार नहीं है, वरन् ये परिभ्रमण करते-करते अपने स्थान से दूर खिसक जाते हैं। जलेबी की चन्द्र मंडल तरह अंदर के मार्ग से बाहर और बाहर के मार्ग से अंदर की ओर कुल 510 योजन में परिक्रमा करते हैं। सूर्य के 184 और चन्द्र के 15 अनवस्थित मंडल हैं। ग्रह, नक्षत्र और तारा अपने निश्चित् वर्तुलाकार मंडल पर ही समपृथ्वी चित्र क्र.66 he गुरु शुक्र Coबुध नक्षत्र मंडल 110 योजन नित्य DE CIA मंडल केत 10 यो. 790 यो. ऊपर 104 सचित्र जैन गणितानयोग