________________ विजय-पर्वत के बाद दसवीं सुवत्स विजय है। उसकी कुण्डला राजधानी' आती है। इसके बाद 'तप्तजला महानदी' है। 3. महावत्स विजय-तप्त जला नदी के बाद ग्यारहवीं विजय है, इसकी अपराजिता राजधानी है। इसके अनन्तर 'वक्षस्कार कूट' है। 4. वत्सकावती विजय-पूर्वोक्त वक्षस्कार पर्वत के पश्चात् बारहवीं वत्सकावती' विजय है। इसकी प्रभंकरा' राजधानी है। पश्चात् ‘मत्तजला महानदी' है। 5. रम्य विजय-वत्सकावती के पश्चात् तेरहवीं विजय 'रम्य' है। यहाँ अंकावती राजधानी है। इसकी सीमा बाँधने वाला अंजन वक्षस्कार' पर्वत है। 6. रम्यक विजय-चौदहवीं रम्यक् विजय की 'पद्मावती' राजधानी है वहाँ 'उन्मत्तजला' नामक महानदी है। 7. रमणीय विजय-यह पन्द्रहवीं विजय है। इसकी 'शुभा' राजधानी है। आगे 'मातंजन वक्षस्कार पर्वत' है। 8. मंगलावती विजय-यह सोलहवीं विजय कहलाती है। इसकी 'रत्नसंचया' राजधानी है। इसके पास 22 हजार योजन का भद्रशाल वन है। (3) पश्चिम-दक्षिण महाविदेह-इसे 'नैऋत्य महाविदेह' नाम दिया जा सकता है। इसमें 8 विजय, 4 वक्षस्कार और 3 अन्तरनदियाँ इस क्रम से हैं 1. पक्ष्म विजय-मेरूपर्वत से पश्चिम में निषध पर्वत के उत्तर में, शीतोदानदी के दक्षिण भाग में 17वीं विजय है। इसकी राजधानी 'अश्वपुरी' है। इसकी सीमा बांधने वाला 'अंकावती वक्षस्कार पर्वत' है। 2. सुपक्ष्म विजय-इसकी राजधानी ‘सिंहपुरी' है। इसके पास 'क्षीरोदा नदी' है। 3. सुपक्ष्म विजय-इसकी राजधानी 'महापुरी' है। इसके पास 'पक्ष्मावती वक्षस्कार' पर्वत है। 4. पक्ष्मावती विजय-पक्ष्मावती वक्षस्कार के बाद यह 20वीं विजय है। इसकी राजधानी 'विजयपुरी' है। इसके पास 'शीतस्रोता' नदी है। 5. शंख विजय-यह 21वीं विजय है, इसकी राजधानी अपराजिता' है। उसके पास 'आशीविष वक्षस्कार' पर्वत है। 6. कुमुद विजय-यह 22वीं विजय है, इसकी राजधानी 'अरजा' है। इसके पास अन्तर्वाहिनी नदी' है। 7. नलिन विजय-यह 23वीं विजय है, इस की 'अशोका' राजधानी है। इसके आगे 'सुखावह वक्षस्कार' है। 8. नलिनावती विजय-यह 24वीं विजय है, इसकी राजधानी 'वीतशोका' हैं। इस विजय के पास सीतामुख वन के समान ही 'शीतोदामुख वन' आता है और उसके बाद जम्बूद्वीप का पश्चिम जयन्तद्वार' आता है। (चित्र क्रमांक 48) (4) पश्चिम-उत्तर महाविदेह-यह 'वायव्य महाविदेह' कहलाता है। इसमें भी आठ विजय 4 वक्षस्कार और 3 अन्तरनदियाँ है। 1. वप्रा विजय-जयन्त द्वार के अन्दर शीतोदा नदी के उत्तर में भी 'उत्तरमुखी शीतोदामुख वन' है। इसके पास पूर्व में मेरू की तरफ 25वीं वप्रा विजय' है। इसमें विजया राजधानी' है। इसके पास 'चन्द्रकूट वक्षस्कार' पर्वत है। 2. सुवप्रा विजय-26वीं सुवप्रा विजय की 'वैजयन्ती' नाम की राजधानी है। उसके पास 'उर्मिमालिनी नदी' है। 3. महावप्रा विजय-यह 27वीं विजय है, उसकी राजधानी जयन्ती' है, उसके पास सूरकूट वक्षस्कार' है। 4. वप्रावती विजय-यह 28वीं विजय है। इसकी राजधानी अपराजिता' है। 70 PARAसचित्र जैन गणितानुयोग 1