________________ नदनवन ईशानेन्द्र का आवास -बलकूट-1000 योजन ऊँचा दिशाकुमारी का आवास 50 यो. मेरू पर्वत Fr शक्रेन्द्र का आवास ईशानेन्द्र का आवास Op शक्रेन्द्र का आवास चित्र क्र. 24 योजन ऊँचा है, जिसका स्वामी बल नामक देव है। शेष सभी कूट 500 योजन ऊँचे है। इन पर 8 दिशाकुमारियों के आवास हैं। कुमारियों की तरह सदा क्रीड़ाप्रिय होने से तथा लावण्यमयी होने के कारण इन्हें दिक्कुमारियाँ कहते हैं। समभूमि से 500 योजन ऊपर नंदनवन है और दिक्कुमारियों के कूट 500 योजन ऊँचे होने से उसके ऊपर रहे हुए दिक्कुमारियों के आवास समभूमि से 1,000 योजन ऊँचे हैं। मध्यलोक समभूमि से ऊपर 900 योजन तक माना गया है, इसलिये ये दिक्कुमारिकाएँ ऊर्ध्वलोक वासिनी कहलाती है। (चित्र क्रमांक 24) (3) सौमनस वन-सौमनस वन नन्दनवन से 62,500 योजन ऊपर जाने पर 500 योजन विस्तीर्ण क्षेत्र पर है। नंदनवन के समान ही यह भी वलयाकार और मेरूपर्वत को चारों ओर से परिवेष्टित किए हुए है। पर्वत के बाहर का विस्तार 4272/ योजन का एवं भीतर का विस्तार 3272/ योजन का है। पर्वत के बाहर की परिधि 13511/4 योजन तथा भीतर 10349/ योजन की है। यह वन काले, नीले पत्तों वाले वृक्षों के कारण नीली आभा वाला है। इस पर कूट नहीं है। शक्रेन्द्र, ईशानेन्द्र एवं अनेक देव-देवियों की यह आश्रयस्थली है। (4) पण्डकवन-यह वन सौमनस वन से 36 हजार योजन ऊपर जाने पर मेरूपर्वत को चारों ओर से वेष्टित करके वलयाकार रूप से सुशोभित हो रहा है। यह 494 योजन विस्तार वाला गोल है। इसकी परिधि कुछ | अधिक 3162 योजन की है। यहीं पर अभिषेक-शिलाएँ है। जहाँ तीर्थंकरों का 64 इन्द्रों द्वारा जन्मोत्सव मनाया जाता है। सचित्र जैन गणितानुयोग 29