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कुलता, घबराहट इत्यादि का आन्दोलन मचा हुश्रा है, वह केवल हिंसा के कारण है। अहिंसा शान्ति है-हिंसा अशांति है। ___ वाज़ार ले हिंसक चिड़ीगर गुजरता है, कौए इस के सिर पर मैंडलाते हुए कांव कांव करते हैं। कुत्ते उसके पीछे पड़कर भौं भी भोकते हैं और जब तक उसे बस्ती के बाहर नहीं निकात पाते, तब तक चैन नहीं लेते। परन्तु जब कभी कोई प्रेममय अहिंसक साधु का गुजर बस्ती से होता है, शान्ति छा जाती है। कुत्ते उसकी देह से निर्भय हो कर स्पर्श करने लगते हैं। इन पशुओं को यह निश्चय होजाय कि यह प्राणी अहिंसक है, फिर वह उसे कभी दुःख नहीं दगे। कौन जाने ! इनमें कौन कौन सी बुद्धि है जो निश्चय कराती रहती है कि अमुक पुरुष हिसक है और अमुक पुरुष अहिंसक है। विचार करने से ऐसा विदित होता है कि इन की देह से किसी प्रकार की घृणित धार निकलती होगी जिसे यह देख लेते हैं। और उसी के अनुसार उसका व्यौहार होता है । इस धार का अंग्रेजी नाम 'भारा' ( Oura ) है, जो देहधारियों के चारों ओर मण्डल बांधकर रहता है और वह रोमरसेहर समय निकलता रहता है मनुष्य उसे नहीं देख सकता। वह इतना सूक्ष्म है कि मनुष्य की स्थल ऑखों के साथ सदृश्यता और अनुकूलता नहीं है। परन्तु इन पशुओं की है। मनुष्य के छोटे बच्चे भी इसी प्रकार काम करते हैं। वह भी औरों को देख कर भाँप जाते हैं कि उनसे बातचीत करने वाला अथवा उनके सन्निकट पाने वाले पुरुष वा स्त्री कैसे हैं?