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सयंम
सयंम दो संकृत धातु 'लम (बिल्कुल) और 'यम (रोक थाम) से बना है। संपूर्ण रोक धाम का नाम संयम है। और इस रोकथाम का मन्तव्य इन्द्रियो और मन का रोकना और उनको अपने वशमें कर रखना है।
मनुष्य क्यो वहकता है ? इन्द्रियों के वहकने से । जिसे जिस इन्द्रो श्री चाट पड़ गई है, वह उसे अपनी ओर खींच ले जाती है और गड्ढे में लेजाकर गिरा देती है। उसका सारा धर्म कर्म धूल और मिट्टी में मिल जाता है।
कौन कह सकता है कि प्राणी को कितने दिनो ले किस इन्द्रिकी लत का अभ्यास हुआ है। अभ्यास दूसरी मति व स्वभाव वनजाता है और वह बेवश हो रहता है। ताख उत्ते कोई समझाये, वह अपने किये से नहीं रुक सका!जन्स जन्मान्तर की लत दुरी होती है। परंतु जैसी किसी ने यह लत डाली है. वैसेही यदि उसका उल्टा अभ्यास करने लग जाय तो फिर यह धीरे २ वदलने लग जाती है और यह कुछ का कुछ हो जाता है।
और इन इन्द्रियो मे एक बात और होती है। यह कभी तृप्त नहीं होती | जितना मनुष्य इनके तन करने का उद्योग