Book Title: Jain Dharm Siddhant
Author(s): Shivvratlal Varmman
Publisher: Veer Karyalaya Bijnaur

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Page 44
________________ ( ३४ ) लड़ाई हुई-महाभारत उना-और उसका जो, अन्तिम परिणाम हुश्रा उसे सब जानते हैं। मार्दव गुण की कमी से ऐसा हुआ! (२)अभी महाभारत युद्ध का प्रारम्भ नहीं हुआ था। कृष्ण, कौरव और पाण्डव दोनों के सम्बन्धी थे और दोनों व्यवहार अनुसार उन से सहायता लेने के लिये पहुँचे । दुर्योधन पहले पहुंचा। वह खाट पर पड़े हुयं सो रहे थे। जगाना उचित नहीं समझा । दुर्योधन गया था सहायता मांगने परन्तु राजमंद के नशे में चूर होने के कारण सिराहने बैठा । अर्जुन देर से पहुँचा । इस में भक्ति भाव था-पांयते बैठा। कृष्ण की आँख खुली । पहले अर्जुन को देखा-पूछा- “कैसे आये ?" उस ने उत्तर दिया, "अब संग्राम की उन गई । सहायता मांगने आया हूँ।” कृष्ण बोले, “बहुत अच्छा, जो कुछ हो सकेगा, सहायता दूंगा।" इतने में घमंडी दुर्योधन घोल उठा, "मैं इससे पहले आया हूँ। मेरा अधिकार विशेष है।' कृष्ण द्विधा में पड़ गये। दोनों से कहा, "एक ओर मैं अकेला हूँ और प्रतिज्ञा करता हूँ कि इस सम्बन्धियों की लड़ाई में हथियार न उठाऊंगा। और दूसरी ओर मेरी सेना और सेनापति इत्यादि हैं, जो बड़े सूरमा और योद्धा हैं । तुम दोनों निर्णय कर लो, किस को चाहते हो?" मदान्ध दुर्योधन ने कहा, "मैं सेना और सेनापति को चाहता, हूँ।" अर्जुन ने विनती की, “मैं केवल आप की आवश्यक्ता रखता हूँ।"कृष्ण

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