________________
( ५६ ) देश को अहण करेगा? और क्या उस से लाभ उठायेगा? शुद्ध और अच्छे पदार्थ शुद्ध और अच्छे पात्र ही मे रक्खे जाते है । अशुद्ध पात्र में शुद्ध वस्तु कोई कैसे रक्खेगा और कैसे वह उस मे रखा जा सकेगा?
हृदय शुद्ध और निर्मल हो तब वह श्राप किसी उत्तम पुरुष के समीपवर्ती होने से उस के भाव को सुख और प्रसन्नतापूर्वक ले सकेगा और वह उस में भली प्रकार प्रतिविम्वित हो अनुभव उत्तेजन करेगा। और शुभ जीवन के बनाने में सफलता होगी। ऐसा न होगा तो फिर उल्टा पांसा पड़ेगा
शब्द, स्पर्श, रूप, रल,गन्ध, हर मनुष्य पर अपना प्रभाव डालतेहैं। पृथ्वी, जल अग्नि,वायु, और श्राकांश भी यही काम करते हैं। रोगी शरीर के लिए यह हानिकारक होते हैं और अरोगी शरीर के लिये यह उपयोगी होते हैं शौचवाला मनुष्य श्ररोगी कहलाता है । उस में केवल शुद्ध भावना ही प्रतिविम्बित होगी। अशुद्ध भावना की ओर उसकी दृष्टि तक न पड़ेगी, फिर वह उन के भाव को कैसे ग्रहण करेगा?
शौच के लिये सयम्क् आजीविका, सम्यक् आहार और सम्यक आचरण भी आवश्यक हैं । गृहस्थियों के लिये कम से कम इन बातों को स्मरण में रखना चाहिए । नहीं तो शौच का लक्षण उस में न प्रगट होगा। जिस का हृदय अन्धा है, उसमें शुभ इच्छा, शुभ चिन्तवन, और शुभ वासनाओं की लेशमात्र