Book Title: Jain Bhajan Prakash 04
Author(s): Joravarmal Vayad
Publisher: Joravarmal Vayad
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रटना लगाई। निसदिन साँझ सवारी क्ष ॥ ४ ॥ जोरावर भज आद जिनन्द पदः॥ तन मन अति हुलसाई। भजन करे बिन पारन पावै ॥ या सन्त शुरु फरमाइ ॥ ऋष०॥ ५ ॥
अथ श्री बईमान जिन सत्वन ॥ राग. सोहनौ ॥ एरी जसोदा तोसे लहंगो लराई ॥ एदेशो० ॥ ।
एरी जिनन्दा तोसे धर्ज हमारी। तुज सलणं कर ऊठ सवारौ। एरी० ए० राय शिवार्थघर अवतारौ। हसला देजी तुज महेलोरी ॥ एरी० ॥१॥ जन्म महोत्सव सुरपति शारी॥ मंगल गावत दौसाजी कूवारीमाएरो० ॥ २॥ बहुविध वृद्धि थई तिणवारी। हड्ड मांन तब नाम दियारी ॥ एरो० ॥३॥ कर
शुष्ट करिमेर कंप्यारौ ॥ म्हाबीर जब नाम भयारो॥ एरी• ॥४॥ जंग सुख नहरसमा पुसुशारी॥ बैरागधर संयम व्रतधारी। एरो.

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