Book Title: Jain Bhajan Prakash 04
Author(s): Joravarmal Vayad
Publisher: Joravarmal Vayad
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(३७) ॥ अथ ढाल लौष्यते ॥ चाल लावनीकी ॥ ॥ भविगणौमुख चंदा ॥ दर्शनकरहरनैनचकोरनी । भवि० ए० ___ आदनमु अरिहंत आदजिन सांसनमा हाहितकार। चरमजिनंद महाबौरजीसथां. रोपंथसदासुखसार। सुधर्म जंबुादपाटो धर परभवदिकलीयो धार । तिस अनुसारै दूणहीजारै भिक्षुगुणभंडार । उडावनीः ॥ पाटोधरभारिमालजी। रायरीपोरोधवंता जैः मघामांणकलालपाटवी। डालचंदपुनवंतपंथ धरवीरनिनंदा ॥ दर्शन ॥ १ ॥ मनोहरमाल बदेशमैसकाई नगरउजैनी सार । उसबंसछ बधकउपतापीपाडाधरण्यार। साहकनई यालालजीसघरसती जडावांनार। तासकुक्षअवतारलीयो प्रभुगुणमनौरयणभंडार । उ. नौकेमुद आसाढनौ । चोथचंद्रमुभवार । सुतमुखचंद्र विलोकतांसकांड । वरत्याजैजै

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