Book Title: Jain Bhajan Prakash 04
Author(s): Joravarmal Vayad
Publisher: Joravarmal Vayad
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( 28 )
सहु जय
जब नाम प्रगट भयो थांरो ॥ सब्द उचाख्योजौ ॥ कालु० ॥ १६ ॥ सुद पूनम बहु रंगरेला ॥ थया पट महोत्सव
ना मेला जौ ॥ कालु० ॥ १० ॥ । गणि गुण षट्वौस उदारी || ओममषोड़स सुबिचारी जौ ॥ कालु० ॥ १८ ॥ थांरी अष्ट सम्पदा सोहै ॥' पेखत भवि जन मन मोहै जो ॥ ॥ कालु ॥ १६ ॥ जोरावर सर्णं तिहारै | यांगे बधो सुयश महिसारे जौ || कालु० ॥ ॥ २० ॥ आशन शुद बेद कहाया ॥ थांरा गुण कलकत्ता में गाया जी ॥ कालु० ॥ २१ अथ ढाल २ दुजी० राग जलै मारुकै गौतनी देशी ० ॥
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श्री श्री कालुराम गणिंद गणधारी की ॥ म्हांरा गण सिणगार ॥ थांरी सूरत मुद्रा पेखत लागै प्यारो, जो ॥ म्हाराज० ए० ||
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