Book Title: Jain Bhajan Prakash 04
Author(s): Joravarmal Vayad
Publisher: Joravarmal Vayad
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रही नब लग ध्रुव तारोजी ॥ म्हां० श्री श्री ॥ ६ ॥ पुनजी आप कृपा करके बौनतडी अब धारोजी ॥ व्हां• घांरी आवतको चौमासो मुज सहर संभारो जौ ॥ म्हां० श्री श्री ॥ ७ ॥ चौमासाकी श्रीमुख सुं फरमावो नौ | म्हां• थांरो जोरावर है दाश आश
॥
पुरावो जी | म्हा० श्री श्री ॥ ८ ॥ पुजजो थांरा गुण अगणित है मोमति केम कहायेनो || म्हां० आशन शद एकम प्रेम धरौने गायेजी | म्हां० श्रीश्री ॥ ६ ॥ इति० ।
अथ ढाल ३ तौसरी राग सारङ्ग | मोय नोकी लागे सूरत तिहारी ॥ अष्ट में यूजको जाउ बलिहारी ॥ मोय० एत्रां• भिक्षु गणिके बसु पट राजत ॥ कालुराम गणि गणधारी ॥ मोय० ॥ १ ॥ छोगांनी मात मूलेसको नन्दन ॥ ओस बंश
अवतारी ॥ मोय० ॥ २ ॥ सोहनी सूरत
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