Book Title: Jain Bhajan Prakash 04
Author(s): Joravarmal Vayad
Publisher: Joravarmal Vayad

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Page 106
________________ ( १०४ ) ॥ १ ॥ मात वरजु जौही उद्उपना ॥ पोर बाल बंस तेरे ॥ गजा० ॥२॥ उगणी सै सत्ताइस वर्षे ॥ उर बैराग्य धरैरे ॥ गजा. ॥३॥ हीरालालजी खाम समौ ॥ दिक्षा बतं गहरे ॥ गजा० ॥ ४ ॥ जय मघ मांणक लाल डाल गणि ॥ सब हौ की सेवकरेरे ॥ गजा० ॥ ५ ॥ कालुराम गणाधिपको अब । थांपर महेर घनेरे ॥ गजा० ॥ ६॥ नीत निरमल शुद्ध संयम पालो ॥ शिर गुरु आण धरे ॥ गजा० ॥ ७॥ बास वेला तेला इत्यादिक ॥ बहु विध तप्प तवेरे ॥ गजा० ॥८॥ सुज उपर कृपा अति कौनौ बहु विध बान दियेरे । गना० ॥ ६ ॥ तुम प्रसाद एह सांसन पायो । दिन २ रंग बढेरे ॥ गजा० ॥ १० ॥ हाथ जोड़ कर कर बौनती ॥ रखो सु निजर घणेरे ॥ गजा० ॥ ११ ॥ सड़सठ साल वैशाख कृष्ण पक्ष ।

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