Book Title: Jain Bhajan Prakash 04
Author(s): Joravarmal Vayad
Publisher: Joravarmal Vayad

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Page 105
________________ ( १०३ ) दिन २ घणो दिपावोजी ॥ भविजौवां नै तारी ॥ भवसे पार पमावोजी ॥ भि० ॥२॥ बोध बौज आपो बहु जननै ॥ भिन २ रहेस सुणावोजी ॥ खलता खोड़ मिटाय ॥ अभय पद जलदी द्यावोजी॥ भि. ॥३॥ मुखे २ बिचरो महि अपर । करो घणां उपगारो जौ ॥ शुभ दृष्टि से याद करौ ॥ म्हारी लिज्यो बैग संभारो जी ॥ भि० ॥४॥ सावक भाविक्षा तन मन धन कर । हित चितसे गुण्ड गावै जी ॥ लटक २ लटका करै ॥ थारौ सरजी चाये नौ ॥ भि० ॥५॥ ॥इति ॥ अथ श्री१०८ श्रीगणेशलालजी खामो नै गुग्णांकी ढाल ० राग० सोरठ ॥ गजानंद ध्याउ जठ सबेरे॥ मैंतो चरन कमल हु तेरे ॥ गजा० एग्रां. गांव सवाई माधोपुर है। सुत्त शिव लाल जी केरे॥ गजा.

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