Book Title: Jain Bhajan Prakash 04
Author(s): Joravarmal Vayad
Publisher: Joravarmal Vayad

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Page 103
________________ ( १०१ ) अपारौ ॥ मोय० ॥ १२ ॥ सड़सठ चैत्र शुक्ल एकम दिन | कलकत्ता शहर मभारी ॥ मोय० ॥ १३ ॥ इति ॥ अथ ढाल छठौ गुरू म्हाराज पधारे जब लुगायां गावनको ॥ राग० ॥ मेरो सहीयां हे आज म्हांरो लालन भावे लीए ॥ एदेशो• ॥ संत सत्यांनां ब्रद सुं ॥ परवरौया गुण धार ॥ बोर जिनदसा दौपता || हिवडां भर्थ संसार || म्हांरी सहियां है वान म्हांरा पूज पधारो याहे ॥ म्हांरो धन दिन पायो || म्हारो पुन प्रगटायो ॥ म्हांरो हियो हुलसायो ॥ म्हांरी० ० ॥ १ ॥ एस० ॥ श्रान नगर रलिया मणों ॥ श्राज भलो दिन कार ॥ चाज कृतार्थ सह थया ॥ पेखत गुरु दिदार | म्हांरो ॥ २ ॥ दर्शन कौधा प्र.मसुं ॥ लुलर भोस लुताय ॥ पुज्य कमल पद भेटोया || पातिक

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