Book Title: Jain Bhajan Prakash 04
Author(s): Joravarmal Vayad
Publisher: Joravarmal Vayad
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( १०० )
सुधारी ॥ मोय ॥ २ ॥ मघ मुनि मांणक लाल डाल शशौ ॥ दिनर अधिक उजारी || मो० ० ॥ ३ ॥ अब इन बाडीके अधिपति सोहत ॥ कालुराम गणधारी ॥ मोय • ॥४॥ शौतल शरद शशांक बदन छिम || मुद्रा मोहन गारौ ॥ मोय० ॥ ५ ॥ धौर बौर गम्भीर गणाधिप । तप रह्यो तेज दिनारी ॥ मोय • ॥ ६ ॥ इण वाड़ीमें शुर तक जैसा || सन्त श्रावक अति भारी || मोय• ॥ ७ ॥ काम लता सम समणी है गहरी || श्राविका निम गुल क्यारी ॥ मोय ॥ ८ ॥ समकित
चरण पुषप बहु फूले ॥ फल शिव पद सुखकारो ॥ मोय ● ॥ ८ ॥ सुयश सुगन्ध फैल्यो
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'ह' लोके ॥ सुण भवि भ्रमर लुभारी ॥ 'मोय० ॥१०॥ इण सांसण में क्रौड़ा करन्ता ॥ पामैं आनन्द कारी ॥ मोय• ॥ ११ ॥ जोरावर तोरा गुण गावत ॥ प्रगंधो हर्ष

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