Book Title: Jain Bhajan Prakash 04
Author(s): Joravarmal Vayad
Publisher: Joravarmal Vayad
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( ७e ) छवा. एदेशी ॥ जिनवर ज्य उद्योत करन क॥ जिनवर ज्यु उद्योत करन ।। मेग श्वाम छजैरे ॥ गणि डाल छजैरे ॥ गा दीपेहारे गादीपै ॥ गणपत धजा ज्वरे ॥ कौरत छाय रही मगमें धजा ज्यरे॥ मेरा गणिनो सुयश मेरा प्रवामनौ महिमा महकायरई ॥ बाबा विकसाय रही ॥ अया गरणांयरई ॥ मगमें धजा ज्य रे ॥१॥ सहस किरण सम कुमति हरणकु ॥ सहंस कोरण सम कुमति हरण ॥ मेरा वाम तपैरे।। गणिराज तपैरे शीतलता॥ हारे शीतलता गणपत चन्दा ज्य रे ।। सोभा ल्याय रह्या मघमें चंदा ज्युरे ॥ मेरा गणिनो सुयश ।। करुणा सिंधुनोपद नित ध्याय रहा ॥ बाबा बिकसाय रह्या ॥ अशा गुणगायरया मग में चंदा ज्यारे॥ सोभाल्याय रह्या जगमें चन्दा ज्य रे ॥ २॥ पवर बिधि व्याख्यान

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