Book Title: Jain Bhajan Prakash 04
Author(s): Joravarmal Vayad
Publisher: Joravarmal Vayad
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होरा ॥ मो० ॥ ६ ॥ कंचन बर्णी काया । भल केवल पदवी पायार ॥ प्रभु च्यार कर्म जड जाग॥ मो० ॥ ७॥ आयु पूरब लाख चोरासी । प्रभु मुक्त पुरी ना बासौरे । श्रीजिन सांसण सिरदारा ॥ मो० ॥८॥ तुज सेवै घणां नरनारी ॥ नित प्रति उह सांज वारौरे ॥ भल ध्यान धरै सहु थारा ॥ मो० ॥६॥ संबत् उगणौँसे पैसठ ॥ सावण माश सरे सटरे ॥ चवदस तिथि मंगलवारा॥ मो० ॥१०॥ कनीराम गुण गाया । प्रभु सर तुमारी आधारे। मेरे भव दुःख मैं जो सारा ॥ मो० ॥ ११ ॥ इति। ii. अथ श्री डालचंदजी म्हाराजक गुणांकी ढाल राग ठेठरकी देशी तन मन धन करू तोपे वारीयां ।। तन मन । एआंकड़ी डालचंदगण इन्द दिमंद सम ॥ चर्ण कमल अलिहारीयां ॥ तन मन ॥ १ ॥ श्रवन बेदन

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