Book Title: Jain Bhajan Prakash 04
Author(s): Joravarmal Vayad
Publisher: Joravarmal Vayad
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( ८२ )
सुमति बधारन श्वामजौरे थांरौ जाउ बलि हारीरे ॥ मांरा भविजन तारणं नाथओरे ॥ घारौ छटा सुप्यारोरे ॥ ३ ॥ समव सरण बिच जिन इन्द्रपर छटामनो हर छाजै ॥ मांरा० सिंह सम गाजैरे || मांरा घणो परतापी खामनीरे ॥ देखी पाखंड लाजैरे ॥ मांरा हो बड़भागौ नाथ जौरे थांरा डंका बाजैरे || १ || चिंत्यामणी सम चिंत्या चूरन आशा पुरण इन्दा मांरा० करण माणंदारे ॥ मांरा दिलका दाता खामनौरे थारौ चाउ सुख सातारे ॥ मांग हो बड़ भागौ नाथजीरे ॥ थांरे चरणां रातारे ॥५॥ इति० ॥
अथ उपदेशको ढाल || राग० ओभलरे सीतापति आयो || पदेशी • सोभव रतन चिन्तामण सरखो || बार बार न मिलसी रे ॥ चेत सके तो चेत नीवडला ॥ एडवो

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