Book Title: Jain Bhajan Prakash 04
Author(s): Joravarmal Vayad
Publisher: Joravarmal Vayad

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Page 44
________________ C [८] कार । धारुमनदूधकआनंदा । दर्श य० ॥२॥ पतीवियोग जोगलीयो माता । सहौवीसके साल। दिक्षादिनपटलावद महोकवडू द्रघटाद्रग चाल । सतोगोमांनी हाथहरषस्युं आपअन्ना पुनपाल । तेइस के भादो वदवारस आपः चरणगुणमाल । उ० उमरवरसदश च्यारको । रह्याबालब्रह्मचार | चरणगांवड दोर दिया गुरुहीरालाल अणगार । सारसुखसंयम हंदा | दर्श ॥ ३ ॥ इकतीसैकौसालगणा धिपसिंवाडोसुखकार । संतचहुं नाथसंसकांइकरतो भविनिमतार। कछगुजरातमेवाडमाल वै विबुधकियोउपगार | चोपन घोषवदौ जोधाने चौथगन पदधार! उ० टूजमहावदोलाडनं । च्यारतीर्थजिनचंद । भिक्षुतखतवीराजीयास, कांडू | साहसजेमनिनंद । इदजिमटादि पंदा || दश ॥ ४ ॥ षट्सउपमत्रो पैगनपतउतरानमंभार । दसमें 'गैतीसही चोरासी 1 -

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