Book Title: Jain Bhajan Prakash 04
Author(s): Joravarmal Vayad
Publisher: Joravarmal Vayad

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Page 55
________________ [१३] नांनुजी-८३ पारवतां ८४ वेहं चरण संग पुनवंतौ ॥ उ० अजबु ८५ चंपा ८६ तीसरी सति पियारां ८७ सार ॥ हरु ८८ दाखां ८८ मा जादू बैनां चरण संग लियो धार ॥ सार संयम सुख कंदा ॥ द० ॥ २४ ॥ राय टषि बारानी भजल्यो ॥ सतियां दोय जगौस जीत बाराना संत चठारा सतियां युग सांत बोस ।। मुनि मघराज अाद संत चवधा ॥ सतियां सात चालीस ॥ मांग का हद मुनि नव निधि सम ॥ सत्यां तास विमणीस-उ० वारै हजुरौ जांण ज्यो ॥ संत ठाणां सतावीस ॥ सत्यां नव असीधर जुमले ।। ढाइसो नै अठबीस ॥ बीस सात . गुणां धरंदा ॥ द० ॥ २५ ॥ चौमासो प्रथम पचपन को सहर लाडणुं खास ॥ छप्पनको सरदार सहर ॥ सत्तावन को बौदास ॥ अठाव नो रानाणो नारी आप कियो प्रकास ॥

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