Book Title: Jain Bhajan Prakash 04
Author(s): Joravarmal Vayad
Publisher: Joravarmal Vayad

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Page 20
________________ ( १४ ) दिन तेज सवाय लो॥ बांदो० ॥ ४॥ सर नर मुनि थारो दर्शन चावै ॥ ध्यान धरै सुम कारलो। दीनदयाल गोवाल कृपानिधि भविजिव तारण हारलो॥ बांदो ॥५॥ पात उठीनै थांरो समणं करसी॥ तेलासे भवपार लो॥ दुःख संकट ज्यारै कदेयन थासौ ॥ पावा गमन निवार लो ॥बांदो।। ॥६॥ सम्बत उगणीसै छासठ बर्षे ॥ श्रावण धुरपक्ष सारलो ॥ पंचमी तिथ जोरावर थां खुबिनवै बार हजार लो॥बांदो इति. ... पथ ढाल चौथौ । राग० हरजस की. राम नाम रस पौजे पौजे पौजेरे पौजे रस पौजे॥ एचालमें• डाल नोम रट लौजे लौजे लौजेरे लौजे रस पोजे ॥ थारो बंछित कार्य सोझो र सौमेरे सीके रस पीजे ।एमा० निंदा बिकथा भालस तजी ॥ नरभव लाहो खोजे २ लौजेरे लौजे रस पौजे ॥

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