Book Title: Jain Bhajan Prakash 04
Author(s): Joravarmal Vayad
Publisher: Joravarmal Vayad

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Page 23
________________ ( १७ ): तुज बदन कमल दीदार n ॥ तुम• ॥ १० ॥ पेख | भवि रोमराय हुलसंद ॥ तुम• ११ ॥ नोरावर तोरा गुण गावै । हुलस २ पयबंद ॥ तुम• ॥ १२ ॥ द्वितीया सावन बद एकम दिन । लाइणुं सहर मंद ॥ तुम० इति० । ॥ १३ ॥ अथ ढाल ६ छठो राग० माढ० तोरे दांतकी बतौसी ढोला ऐसी प्यारो लागे || तोरी चांख रसीली ढोला सुरमों प्यारो लागैजी । छल बलिया ढोला छान जगाई बैरी नींद मैं | बस करीया ढोला | पदेश ● ॥ ar धारौ गणपत थांरानी चरणांमें म्हांरो जीवजी । बस रह्यो नित प्रतहो । कान्ह नंदनजी सुं लागो म्हांरो मौतजी ॥ एचां० ॥ तोरे सांसनको छिनभारी। नौकी प्यारो लागे ॥ तोरी मुद्रा मोहनी खामी । मुनने प्यारौ लागेनी ॥ यश ० ॥ १ ॥ अधम 1

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