Book Title: Jain Bhajan Prakash 04
Author(s): Joravarmal Vayad
Publisher: Joravarmal Vayad
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( २३ ) हुयां श्रीपूजरै। होसी जय जयकार ॥ एह अविखाषा मांहरौ। पुरवसे किरतार ॥ ॥ म्हां ॥८॥ जोरावरको बौनती। मानो प्राणां धार । सावन मुद नवमी दिने । पमणत हर्ष अपार || म्हां ॥ ६॥ इति० __ अथ ढाल है नवौं राग० तरकारी लेल्यो मालण आई बीकानेरकी ॥ तर० ॥ एदेशी० सरणां भवि लेल्यो डाल मुनिन्द गण इन्दके। सर० एम० डाल गणिन्टके सरणां सेती। पामै भव जल पारो॥ दुःख संकट सवही मिट जावै। होज्यावै निस्तारोरे ॥ सर० ॥ १ ॥ खाम भिक्षणको पाट सातमों। डाल दिपा बनहारी॥ भर्थ क्षेत्रमें सिंह जिम गुंजै। साहस जिन अनु हारोरे ॥ सर० ॥२॥ शशी सम श्रोतल बदन तिहारी। वेजखो दिनकारो ॥ भव भय भंजन जन मन रंजन। शिव मगको

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