Book Title: Jain Bhajan Prakash 04
Author(s): Joravarmal Vayad
Publisher: Joravarmal Vayad
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( २५ ), ' अथ ढाल १. दशौं राग ५ ठेठरकी अम्मा.मुजे अच्छौसी टोपी मंगादे. एदेशी. खामी मोरी नयाको पार लंघादे पार लंघदिर मुक्ति तो मोय बकसादे ॥ खा० ॥ एमां ॥ चरणों मे लेटुंगा." दुःख दंट मे लूंगा ॥ वारूंगा तन मन हां हां हां ॥ प्रान करूर कुरवान हमहम इम ॥ ख़ामो० ॥१॥ राग दुसरी अमवाको डाली.तले प्रालौरी झुलना मुलादे. एदेशी० ॥ मज धारासे नइया ॥ .स्वामौरी पार लंघादे० म० मेरे पुज्य सेती करत घरज ॥ अरजीमे.मरजी करादे० म० एम० लंघांने वाला.तुहीं है सिरताज भला ॥ तिहारी मुद्रा मोहनचंद उजास भला ॥ . छब दिखलाते तखत - जारा भल्ला ॥ दर्थप्रीयारे हय तो सबजनकों लागै भल्ला ॥ 'प्यारौं लासानी है प्यारी नुरानी है सूरत.सोहानी है ॥ तुमुनपार

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