Book Title: Jain Bhajan Prakash 04
Author(s): Joravarmal Vayad
Publisher: Joravarmal Vayad

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Page 21
________________ ( १५ ) डाल० ||१|| कुगुरु कुदेव कुधर्म कुमारग || प्रबल होन नही दोने २ दौजेरे दौजे रस पौजे ॥ डाल० ॥ २ ॥ डाल गुरुको संगत करके || प्रभु चरचा नित कौने २ कौजेरे कोजे रस पीजे ! डाल० ॥ ३ ॥ जैसा गुरु पडि लाभ हाथसें ॥ सकल मनोरथ सोजेर सीजेरे सीने रस मौजे ॥ डाल • ॥ 8 ॥ ऐसा गुरुको देसन सुणके । ज्ञान सुद्धा स्मृत पौजे २ पोजेरे पीजे रस पीने ॥ डाल० ॥ ॥५॥ एह संसार असार जाणकर || सुकृत करणी कोनें २ कीजेरे कीजे रस पीने ॥ डाल० ॥ ६ ॥ जोरावर सुगुरु सेव्यां धौ ॥ प्रम प्रमातम रोजे २ रौजेरे रोजे रस इति० । पौजे ॥ डाल ॥ ७॥ अथ ढाल ५ पांचमी० राग० कजरीको ० भोला काय रहे काशीमें गिरज्यां पारवती के संग || एदेशौ ० ॥ तुम ध्यावोरे सुज्ञानी ॥

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