Book Title: Gurutattva Siddhi
Author(s): Suvihit Purvacharya
Publisher: Satyavijay Smarak Jain Granthmala

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Page 9
________________ ( ४ ) कीयो बिहार मेवाडमां उदेपुर कियो चोमासो रे; धर्म पमायो लोकने, कीधो तिहां धर्मनो वासो रे. छठे छठने पारणां कीधां, तप जास न पारो रै; काया कीधी दुर्बळी, करी अरस नीरस आहारो रे. वळ अध्यात्मरसिक वनवासी श्री आनंदघनजी महात्मा घणे भागे मेडतामा रह्या हता, एवु लोककथा परथी जणाय छे, अने त्यां सत्यविजयजीये चोमासुं कर्तुं हतुं एम रासमां आपेल छे तेमज श्री आनंदघनजी, श्रीयशोविजयजी, श्रीविनयविजयजी, ज्ञान विमलसुरितथा श्रीमानविजयउपाध्याय आदिसमकालीनहतार निर्विवादळे. (२) पोते कया देशना हता. संवेगी पट्टावलीना आधार सत्यविजयजी मेदपाट (मेवाड ) देशना हता अने तेनी आ निर्वाण साक्षी पूरे छे; परंतु यतिवर्गनी पट्टावलियां ते गंधारना शांतिदास श्रावक हता एम जे नीकळे के ते सत्य होवानो संभव नथी. (३) पीतवस्त्रांगीकार. आ वखतम स्थानकवासी ( अमूर्तिपूजक ) पंथ विद्यमान थयो, अने तेना साधुओ पण श्वेतवस्त्र पहेरता, तेथी श्वेतांबरीय मृ र्तिपूजक अने तेमनी बच्चे भेद जाणवानुं बराबर रह्यु नहि, तेथी केटलाक साधुओए पीतवस्त्र परवानुं स्वीकार्य यतिनी पडवालि जोतां श्री यशोविजयजीए काथीयां कर्यो हतां एम जणाइ आवे के अने तेनी साथे विजयप्रभसूरिने श्री सत्यविजय गणिए न वांद्या अने सामा पडी काथीयां वस्त्र धारण कर्या एम यतिनी बृहत् पालिमा जोवामां आवे छे. आनो निश्चय आ निर्वाणरासथी थतो नथी, परंतु श्री सत्यविजयजीनी शिष्य परंपरामांज थयेला ( जुओ आगळ ) पंडित वीरविजयजी आ संबंधे कंड उल्लेख करे ते तपासीए, ते पोताना धम्मिलकुमार रास तथा चंद्रशेखर रासमा पोतानी जे प्रशस्ति आपे छे तेमां नीचे प्रमाणे दर्शाव्युं छे:

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