Book Title: Gurutattva Siddhi
Author(s): Suvihit Purvacharya
Publisher: Satyavijay Smarak Jain Granthmala

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Page 22
________________ tatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatatate titut.totatutet.ttttitutet.totatutetatuttituttitutttitutety श्री सत्यविजय जैनग्रन्थमाला नं १३ अहम पूज्यपादपरमगुरु आचार्यश्री विजयनीतिसूरीश्वरपाद पद्मभ्यो नमः । सुविहितपूर्वाचार्यप्रणीता॥ गुरुतत्त्वसिद्धिः॥ ॥ नमः श्रीश्रुतज्ञानाय ॥ श्रीवर्द्धमानप्रभुमद्भुतद्धि, श्रीमत्सुधर्मादिगुरून गिरं च। जिनागमांश्चाप्यभिवन्य हृद्य युक्त्या ब्रुवे श्रीगुरुतत्त्वसिद्धिम् ॥१॥ ___ इह केचिद्धर्मार्थिनोऽपि काश्चित्सिद्धान्तगाथाः केषाश्चित्पार्थाऽधीत्य तदध्ययनादेव दुर्दैववशाजातमतिविपर्यासा एवं ब्रुवते, साम्प्रतं ये साधवः कालोचितयतनया यतमाना दृश्यन्ते, तेऽपि न वन्द्याः। यतः श्रीआवश्यके“पांसत्थो१ ओसन्नोर होइ कुसीलो३ तहेव संसत्तो। अहच्छंदो५विय एए अवंदणिज्जा जिणमयम्मि॥१॥" १ व्याख्या-किलेयमन्यकर्तृकी गाथा तथाऽपि सोपयोगा चेति व्याख्यायते । तत्र पावस्था दर्शनादीनां पावै तिष्ठतीति पावस्था,अथवा मिथ्यात्वादयो बन्धहेतवः पाशाः पाशेषु तिष्ठतीति पाशस्थः,-.. लाल Heteretetretete tento toto trtrtrtrtrtetor tortoreto Artetrtetatreta te tretetetoetsete tatatertrtrtrtete tetrtrtrtreter tatetety

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