Book Title: Gurutattva Siddhi
Author(s): Suvihit Purvacharya
Publisher: Satyavijay Smarak Jain Granthmala

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Page 76
________________ detetatatatatatatatat etatatatatet ctetutitutit Ketutat estretatatatate न ॥ प्रतिमागुणदोषविचारः ॥ ॥बिम्बपरीक्षाप्रकरणम् ॥ अतीताब्दशतं यत्स्याद् यच्च स्थापितमुत्तमैः। तद् व्यङ्गमपि पूज्यं स्याद् बिम्ब तनिष्कलङ्कवत् ॥१॥ धातुलेप्यादिकं बिम्ब व्यङ्गं संस्कारमर्हति । काष्ठपाषाणनिष्पन्नं संस्कारार्ह पुनर्नहि ॥ २ ॥ * गुंलीउंगुलीबाहुनासोऽहीणां भङ्गेऽप्यनुक्रमात्। शत्रुभीर्देशभङ्गश्च बन्धः कुलधनक्षयः ॥ ३॥ पीठयानपरीवार-ध्वंसे सति यथाक्रमम् । जनवाहनभृत्यानां नाशो भवति निश्चितम् ॥ ४॥ आरभ्येकागुलाद बिम्बं यावदेकादशाङ्गुलम् । , गृहेषु पूजयेद् बिम्ब मूर्द्धपादनं ( ? ) पुनः ॥ ५॥ प्रतिमाकाष्ठलेप्याश्म-दन्तचित्रायसां गृहे। मानाधिकपीरवार- रहिता नैव पूज्यते ॥ ६ ॥ रौद्री निहन्ति कर्तारं अधिकाङ्गा तु शिल्पिनम् । नासा द्रव्यविनाशाय स्वल्पाऽऽस्या भोगवर्जिता ॥७॥ वक्रनासाऽतिदुःखाय ह्रस्वाङ्गा क्षयकारिणी । अनेत्रा नेत्रनाशाय दुर्भिक्षाय कृशोदरी ॥ ८॥ ३१ 'हस्ताङ्गुलि' इति पदं युज्यते ! - --- ---- -------- tetrtetetatatatatatatatatatatatetetstatateteztetetetetet tet tetet tatatatatatetstat eetstettitetstitetin Xetrtut tatatatatatatatatatetetztetet tetatatatatatatatattotetutatututetututututututut. Tatatattatetet -

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