Book Title: Gommatasara Jiva kanda Part 2
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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गो० जीवकाण्डे
पर्यायसमासश्रु तज्ञानविकल्पंगळोछु सर्वजघन्यप्रथमविकल्पमक्कु ज १६ मिदरनंतैकभागमन- ...
ल्लिये समच्छेदं माडि कूडुत्तिरलुमदु पायसमासद्वितीयज्ञानविकल्पमक्कु ज १६ १६ मदरनंतैक
भागममल्लिये समच्छेदं माडि कूडुत्तं विरलु पर्यायसमासतृतीयज्ञानविकल्पमक्कु ज १६ १६ १६
१६ १६ १६ मदरनंतैकभागमनल्लिये समच्छेदं माडि कूडिदोडे पर्यायसमासचतुर्थज्ञानविकल्पमक्कु ५ ज १६ १६ १६ १६ मदरनंतैकभागमनल्लिवे समच्छेदं माडि कूडिदोडे पर्यायसमासपंचम
१६ १६ १६ १६ श्रुतज्ञानविकल्पमक्कु ज १६ १६ १६ १६ १६ मदरनंतैकभागमनल्लिये समच्छेदं माडि कूडु
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ज्ञानविकल्पेषु सर्वजघन्यप्रथमविकल्पः स्यात् ज १६ अस्यानन्तकभागे ज १६ अस्मिन्नेव समच्छेदेन युते
१६ । १६
स पर्यायसमासद्वितीयज्ञानविकल्पः ज १६ । १६ । अस्यानन्तकभागे अस्मिन्नेव समच्छेदेन युते पर्यायसमास
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तृतीय ज्ञानविकल्पः ज १६ । १६ । १६ । अस्यानन्तकभागे अस्मिन्नेव समच्छेदेन युते पर्यायसमास
१० चतुर्थज्ञानविकल्पः ज १६ । १६ । १६ । १६ । अस्यानन्तकभागे अस्मिन्नेव समच्छेदेन युते पर्यायसमास
पञ्चमश्रुतज्ञानविकल्पः । ज १६ । १६ । १६ । १६ । १६ । अस्यानन्तकभागे अस्मिन्नेव समच्छेदेन
१६ । १६ । १६ । १६ । १६
आवे, उसे उस तीसरे भेदमें मिलानेपर पर्याय समास ज्ञानका चतुर्थ विकल्प आता है। यह चतुर्थ अनन्त भाग वृद्धि हुई। फिर इस चतुर्थ भेदमें अनन्तसे भाग देकर जो एक भाग
आवे, उसे उस चतुर्थ विकल्पमें मिलानेपर पर्याय समासका पंचम विकल्प आता है। यह १५ पाँचवीं अनन्तभाग वृद्धि हुई। फिर उस पाँचवें भेदमें अनन्तसे भाग देनेपर जो भाग आता
है,उसे पाँचवें भेदमें मिलानेपर पर्याय समासका छठा विकल्प आता है। यह छठी अनन्त भाग वृद्धि हुई । इसी प्रकार सूच्यंगुलके असंख्यातवें भाग प्रमाण अनन्त भाग वृद्धि होनेपर जो पर्याय समास ज्ञानका भेद हुआ, उसको एक बार असंख्यात लोक प्रमाण संख्यातसे भाग
देनेपर जो परिमाण आवे, उसे उसी भेदमें मिलानेपर एक बार असंख्यात भाग वृद्धिको लिये २० हुए पर्याय समास ज्ञानका भेद होता है। उसमें अनन्तसे भाग देनेपर जो परिमाण आवे,उसे
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