Book Title: Gommatasara Jiva kanda Part 2
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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गो० जीवकाण्डे प्रमा त्रिसंयोगचतुःसंयोगपंचसंयोगादिस्वसंभवसंयोगंगळ प्रमाणं रूपाधिकवारहीनपदसंकलितं भवति । रूपाधिकैकद्वित्रिवारादिस्वसंभवसंकलनसंख्या ११११ १ १ ११ विहीनविवक्षित
१२३४५६७८ पदं:-१०।२।१०।-३।१०।-४।१०।-५॥ १०-६।१०।-७।१०।८।१०।-९ ।
ई पदंगळ तत्तद्वारसंकलितं यावत्तावद्भवति । त्रियोगंगळु रूपाधिकैकवारसंकलनसंख्याहीनपद५ देकवारसंकलितमक्कुं १०-२।१०१ अपत्तितमिदु । ३६ । चतुःसंयोगंगळु त्रिरूपोनपदद्विकवारसंकलितमक्कुं ७।८।९ अपत्तितमिदु । ८४ । पंचसंयोगंगळु चतूरूपोनपदत्रिवारसंकलितमक्कुं
३।२।१ ६।७।८।२ अपत्तितमिदु। १२६। षट्सयोगंगळु पंचरूपोनपदचतुर्वारसंकलितमकुं ४।३।२।१ ५।६।७। ८।९ अपतितमिदु-१२६ । सप्तसंयोगंगळु षड़ पोनपदपंचवारसंकलितमक्कुं ५।४।३।२।१
विवक्षितपदस्य यावत्तावद्भवति । यथा दशमे अवर्णे त्रिसंयोगाः द्विरूपोनपदस्य एकवारसंकलनमात्राः१० १०-२ । १०-१ अपवर्तिताः ३६ चतुःसंयोगाः त्रिरूपोनपदस्य द्विकवारसंकलनमात्राः
७। ८ । ९ अपवर्तितोः ८४। पञ्चसंयोगाः चतुरूपोनपदस्य त्रिकवारसंकलनमात्राः ६ । ७ । ८ । ९ ३ । २।१
४। ३ । २ । १ अपवर्तिताः १२६ । षट संयोगाः पञ्च रूपोनपदस्य चतर्वारसंकलनमात्रा: ५। ६ । ७।८ । ९ अपवर्तिताः
५ । ४ । ३ । २ । १
आदिका प्रमाण यथाक्रम एक अधिक बार हीन गच्छका संकलन धन मात्र है। जितनी बार
संकलन हो, उतने बारोंकी संख्या में एक अधिक करके और उसे विवक्षित गच्छ में घटानेपर १५ जो शेष प्रमाण रहे,उतनेका संकलन करना चाहिए। जैसे दसवै अवर्ण में त्रिसंयोगी भंग
लाने के लिए एक बार संकलनका प्रमाण एक होनेसे उसमें एक अधिक करनेपर दो हुए। इस दोको गच्छ दसमें-से घटानेपर शेष आठ रहे। इस आठका एक बार संकलन धन मात्र त्रिसंयोगी भंग होते हैं । संकलन धन लानेके लिए कहे गये करणसूत्रके अनुसार विवक्षित
दसवें अवर्ण में प्रत्येक भंग एक, द्विसंयोगी एक कम गच्छ प्रमाण नौ, त्रिसंयोगी भंग दो २० हीन गच्छ प्रमाण आठका एक बार संकलन धन मात्र हैं। सो संकलन धन लाने के सूत्रके
अनुसार आठ और नौको दो और एकसे भाग देकर अपवर्तन करनेपर छत्तीस होते हैं। अर्थात् आठ और नौको परस्पर में गुणा करनेपर बहत्तर हुए। और दो-एकको परस्परमें गुणा करनेपर दो हुए। दोसे बहत्तरमें भाग देनेपर छत्तीस रहते हैं। इसी तरह चतुःसंयोगी भंग
तीन हीन गच्छका दो बार संकलन धन मात्र हैं। सो सात, आठ, नौको तीन, दो, एकका २५ भाग देनेपर ७।८।९। अपवर्तन करनेपर चौरासी होते हैं। पंचसंयोगी भंग चार हीन
३।२।१। गच्छका तीन बार संकलन धन मात्र हैं। सो छह, सात, आठ, नौ को चार, तीन, दो, एकसे भाग देकर ६।७।८।९। अपवर्तन करनेपर एक सौ छब्बीस होते हैं । षट्संयोगी भंग
४।३।२।१।।
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