Book Title: Gommatasara Jiva kanda Part 2
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका
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रूऊणसळा २ । बारस। १२ । सळाग २। गुणिदे दु २। १२।२। वळयखंडाणि । २४ । बाहिरसूइ सळागा ५ कदी २५ । तदंताखिळा खंडा।
बाहिरसूईवलयवासूणा चउगुणिट्ठवासहदा।
इगिलक्खवग्गभजिदा जंबूसमवलयखंडाणि ॥-त्रि. सा. ३१८ गा.। बाहिरसूई ५ ल। वळयं । वास २ ल । ऊणा ३ ल । चउगुण ३ ल। ४ । इट्टवास २ ल। हदा २४ ल ल। इगिलक्खवग्ग १ ल ल भजिदा २४ ल ल जंबूसमवलयखंडाणि २४ । इल्लि । सर्वद्वीपखंडंगळं बिटु समुद्रखंडंगळने याय्डुको डु प्रकृतं पेळल्पडुगुमदे ते दोडे लवणसमुद्रदोळु जंबूद्वीपोपमानखंडंगळु चतुविशतिप्रमितंग २४। ळवनोंदु लवणसमुद्रखंडमेंदु माडि १। या चतुविशतिखंडंगळिदं काळोदकसमुद्रद जंबूद्वीपसमानद सर्वखंडंगळं भागिसिदोडे ६७२ लवण
२४ समुद्रोपमानलब्धखंडंगठप्पुवुविप्पत्तेंटु २८। मतमा चतुविशतिखंडंगळिंदं पुष्करसमुद्रद जंबूद्वीप
खण्डाणि २४ । रूऊणसला २ वारस १२ सलाग २ । गुणिदे दु२ १२ । २ वलयखण्डाणि २४ । वाहिरसुई सलागा ५ कदी २५ तदन्ताखिलाखण्डा । बहिरसूई ५ ल वलयन्वासू २ ल, णा ३ ल, चउगुणिट्ठवास ४२ ल, हदा २४ ल ल, इगिलक्खवग्गभजिदा २४ ल ल जम्बसमवलयखण्डाणि २४ । अत्र सर्वद्वीपखण्डानि
त्यक्त्वा सर्वसमुद्रखण्डेषु जम्बूद्वीपसमचतुर्विशतिखण्डभक्तेषु लवणसमुद्रे लवणसमुद्रसमखण्डमेकं १। कालोदकखण्डेषु भक्तेषु ६७२ अष्टाविंशतिः २८ । पुष्करसमुद्रखण्डेषु भक्तेषु ११९०४ चतुःशतषण्णवतिः ४९६, १५
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शेष रहे चौबीस लाख लाख योजन। इस तरह बाह्य सूचीके वर्गमें से अभ्यन्तर सूचीके वर्गको घटाना। फिर उसे जम्बूद्वीपके व्यास लाख योजनके वर्गसे भाग देनेपर चौबीस लब्ध आया। उतने ही खण्ड लवणसमुद्रमें होते हैं। तथा लवणसमुद्रका व्यास दो लाख होनेसे उसकी शलाका दो हैं । उसमें से एक घटानेपर एक रहा । उसको बारह और शलाका दोसे गुणा करनेपर चौबीस वलयखण्ड होते हैं। तथा लवणसमुद्रकी बाह्य सूची पाँच लाख २० योजन है, अतः शलाकाका प्रमाण पाँच, उसका वर्ग पच्चीस । सो लवण समुद्र पर्यन्त पच्चीस खण्ड होते हैं । तथा लवण समुद्रकी बाह्य सूची पाँच लाख योजन, उसमें से उसका व्यास दो लाख योजन घटानेपर तीन लाख शेष रहे। इनको चौगुणे व्यास आठ लाख योजनसे गुणा करनेपर चौबीस लाख हुए। इसमें एक लाखके वर्गसे भाग देनेपर चौबीस आये । उतने ही जम्बूद्वीपके समान वलयाकार खण्ड लवण समुद्र में होते हैं।
सो यहाँ सर्वद्वीप सम्बन्धी खण्डोंको छोड़कर सर्वसमुद्र सम्बन्धी खण्ड ही लेना। तथा जम्बूद्वीप समान चौबीस खण्डोंका भाग समुद्रके खण्डोंमें देना। तब लवणसमुद्रमें लवणसमुद्रके समान एक खण्ड होता है । कालोदके छह सौ बहत्तर खण्डोंमें चौबीससे भाग देनेपर कालोद समुद्रमें लवणसमुद्रके समान अट्ठाईस खण्ड होते हैं। पुष्कर समुद्रके ग्यारह १. ब. कालोदके अष्टावि । २. ब. समुद्रे चतुः ।
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