Book Title: Gnani Purush Part 1
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 11
________________ निवेदन जीवन तो हर एक व्यक्ति जी ही लेता है लेकिन जीवन की प्रत्येक अवस्था को अलग देखकर, जानकर और उससे मुक्त रह सकें, ऐसे विरल ज्ञानी शायद ही कोई होते हैं! पहले ज्ञानी पुरुष कुंदकुंदाचार्य हो चुके हैं। हमें उनके जीवन चारित्र के बारे में बहुत जानने को नहीं मिलता जबकि परम कृपालुदेव श्रीमद् राजचंद्र, जो ज्ञानी हो चुके हैं, उनके जीवन के बारे में हमें थोड़ा-बहुत जानने को मिला है। उसके अलावा पुराने समय में कई महान पुरुष, जो आत्मज्ञानी हो चुके हैं, उनकी ज्ञान दशा की कुछ बातें हमें जानने को मिलती हैं लेकिन अज्ञान दशा में किसी खोज के लिए, किस ध्येय से खुद जिये, उस रहस्य के बारे में बहुत जानने को नहीं मिलता। जबकि यहाँ पर हमें परम पूज्य दादा भगवान (दादाश्री) के पूर्वाश्रम की बातें विस्तारपूर्वक जानने को मिलती है। ऐसे घोर कलियुग में ऐसा अलौकिक व्यक्तित्व हमें देखने को मिला। उनके जीवन की हकीकतें जानने को मिली और ज्ञानी कैसे होते हैं, वह जानने को मिला इसीलिए तो हमें अपने आपके प्रति धन्यता अनुभव होती है कि हम कितने भाग्यशाली हैं कि हमारे बीच पूर्ण ज्ञानी आए और हमने उनसे ज्ञान पाया ! एक बात अवश्य समझ में आती है कि उनका जीवन एक सामान्य व्यक्ति जैसा ही था लेकिन अंदर उनकी समझ असामान्य व्यक्ति जैसी थी। घटनाएँ तो उनके जीवन में भी हमारी तरह की ही होती थीं लेकिन एक ही घटना में तो वे कितना कुछ सोच लेते थे और उसके सार के रूप में कुछ अद्भुत आध्यात्मिक विवरण दे सके! उनकी जन्मों-जन्म से की हुई जगत् कल्याण की भावना और यह कि सामान्य मनुष्य भी जीवन में बिना दु:ख के और आत्मिक आनंद के साथ जीवन जिये, वह बात रूपक में आई। सामान्य मनुष्य के जीवन में आने वाली तकलीफों को खुद अनुभव करके और सही समझ से उन दु:खों में से बाहर निकलकर मुक्ति का आनंद चखा जा सकता है, ऐसा कोई विज्ञान जगत् के लोगों को देना था, और अंत में वे दे सके। 10

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