Book Title: Dropadi Swayamvaram
Author(s): Jinvijay, Shantiprasad M Pandya
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 8
________________ [9] एक पुरुषप्रतिमा प्रतिष्ठित है, वह इसी श्रीपाल कवि की हो ऐसा प्रतीत होता है । ... मंभव है श्रीपाल का कुल, इस अद्भुत मंदिर के निर्माता गुर्जरेश्वर भीमदेव के प्रबल दण्डनायक विमलशाह हीं की संतति में से हों । श्रीपाल के पिता से लेकर इस नाटक के कर्ता विजयपाल के अस्तित्व का समय - अनुमान इस प्रकार होता है १. लक्ष्मण (वि. सं . ) २. श्रीपाल ३. सिद्धपाल ४. विजयपाल .20 20 20 ११०० - ११५० ११५१-१२१० भारत जैन विद्यालय, 'चुना १२११-१२५० १२५१-१३०० अन्तमें, श्रीयुत तनसुखरामभाई का आभार मानकर इस प्रस्तावनाको समाप्त करते हैं कि जिनकी साहित्यप्रियता के कारण, गुजरात के सर्वश्रेष्ठ ऐसे इस कविकुल का नाम रखनेवाले इस नाटक की जीर्ण प्रति अभी तक विनाश के मुखमें पडने से बच रही और अब पुनर्जन्म धारण कर, एकसे. अनेक बनकर, अमर होनेका सौभाग्य प्राप्त किया । मुनि जिनविजय ।

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