Book Title: Dropadi Swayamvaram Author(s): Jinvijay, Shantiprasad M Pandya Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 6
________________ દ્રૌપદીરવયંવરની પ્રથમ આવૃત્તિમાં મુનિ શ્રી જિનવિજયજીની प्रस्तावनामाथी या मशी) इस नाटक की हस्त-लिखित प्रति हमें, नडियाद (गुजरात) निवासी श्रीमान् विद्वान् श्री तनसुखराम मनसुखराम त्रिपाठी बी. ए. के पास से, साक्षर श्रावक श्रीयुत चिमनलाल डाह्याभाई दलाल एम. ए. (बडोदा के राजकीय पुस्तकालय के एक अध्यक्ष द्वारा, प्राप्त हुई थी। प्रति यद्यपि तीन-चार सौ वर्ष जितनी पुराणी लिखी हुई होगी (लिखनेका समय नहि लिखा) परंतु थी बड़ी अशुद्ध । कहीं कहीं कुछ पाठ भी छटा हुआ था-जैसा कि ८वे ९वे पृष्ट पर से विदित होता है। दूसरी प्रति की प्राप्ति के लिये कुछ प्रयत्न किया गया परन्तु सफलता नहीं मिली । अतः एकमात्र उसी प्रतिके आधार पर, यथामति संशोधन कर यह मुद्रित किया गया । नाठक-गत वस्तु नाम से ही ज्ञात होती है । कृति साधारणतया अच्छी और रचना प्रासादिक है। . इसके कर्ता का नाम है महाकवि विजयपाल । गुजरात के चौलुक्यनृपति अभिनव सिद्धराज बिरुदधारक महाराज भीमदेव की आज्ञानुसार, त्रिपुरुषदेव के सामने, वसन्तोत्सव के समय, यह द्वि-अंकी नाटक खेला गया था और इसके अभिनय से गुजर राजधानी अहिलपुर की प्रजा प्रभुदित हुई थी। इतनी बात, इसी नाटक के प्रारंभमें जो सूत्रधारका कथन है उसीसे ज्ञात होती है । ____ कविकी तरफ दृष्टि करने से यह कृति बडे महत्त्वको मालूम देती है क्योंकि इसके सहारेसे हमें गर्वी गुजरातके एक कमला-कान्त कवि-कुलका कुछ पता लगता है । अन्यान्य ऐतिहासिक उल्लेखों-साधनों से, जिनका जिक आगे पर किया जायगा, मालुम होता है, कि कवि का कुल बहुत * यह भीमदेव दूसरा भोमदेव कहा जाता है, सर्वसाधारणमे 'भोला भीम के मुग्धतासूचक नाममे प्रख्यात है, यह, दिल्ली-पति पृथ्वीराज चाहमानका समकालीम और उसका पूरा प्रतिपक्षी था । इसने विक्रम संवत १२३५ से १२९८ (इ.स. १९०९-१९४१)तक राज्य किया था।Page Navigation
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