Book Title: Dropadi Swayamvaram Author(s): Jinvijay, Shantiprasad M Pandya Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPrevious | NextPage 53________________ विजयपाल-विरचितं (नेपथ्ये वेदध्वनिः ) कर्णः- (कण्य' सानन्दं) अयि प्रतिहार ! ममागारद्वारदेशे तारवेदोदूगार परायणाः कथय कियन्तः सन्ति द्विजातयः । (प्रतिहारो निष्क्रम्य पुनः प्रविशति ।) . कर्णः- (ोत्सुक्य) कोटिः १ वेत्री प्रयुतम् ? वेत्री लक्षम! वेत्री कर्णः .. अध्ययुतम वे नहि। सहस्रम् । वेत्रीकर्णःवेत्री शतम् ? कर्णः वेत्रीकर्ण:वेत्री कर्णः वेत्रीकर्णः- सप्त ? वेत्री- न,Loading...Page Navigation1 ... 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90