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धवला उद्धरण
से लक्षण कहे गये हैं। 120211
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कापोत लेश्या
रूसदि दिदि अण्णे दूसदि बहुसो य सोय-भय- बहुलो । असुयदि परिभवदि परं पसंसदि य अप्पयं बहुसो । । 2031 ण य पत्तियइ परं सो अप्पाणं पिव परं पि मण्णंतो। तूसदि अभित्थुवंतो ण य जाणइ हाणि वड्ढीओ।।204 ।। मरणं पत्थेइ रणे देदि सुबहुअं हि थुव्वमाणो दु । ण गणइ अकज्ज-कज्जं लक्खणमेदं तु काउस्स | 120511
जो दूसरों के ऊपर क्रोध करता है, दूसरे की निन्दा करता है, अनेक प्रकार से दूसरों को दुःख देता है, अथवा दूसरों को दोष लगाता है, अत्यधिक शोक और भय से व्याप्त रहता है, दूसरों को सहन नहीं करता है, दूसरों का पराभव करता है, अपनी नाना प्रकार से प्रशंसा करता है, दूसरों के ऊपर विश्वास नहीं करता है, अपने समान दूसरे को भी मानता है, स्तुति करने वाले के ऊपर संतुष्ट हो जाता है, अपनी और दूसरे की हानि और वृद्धि को नहीं जानता है, युद्ध में मरने की प्रार्थना करता है, स्तुति करने वाले को बहुत धन दे डालता है और कार्य, अकार्य की कुछ भी गणना नहीं करता है, ये सब कापोत लेश्या वाले के लक्षण हैं। 2021
पीत लेश्या
जाणइ कज्जमकज्जं सेयमसेयं च सव्व-सम-पासी। दय - दाण - रदो यमिदू लक्खणमेदं तु तेउस्स।।206।।
जो कार्य-अकार्य और सेव्य - असेव्य को जानता है, सबके विषय में समदर्शी रहता है, दया और दान में तत्पर रहता है और मन, वचन तथा काय से कोमल परिणामी होता है, ये सब पीत लेश्या वाले के लक्षण हैं। 12061