Book Title: Dhavala Uddharan
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir
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गाथानुक्रमणिका जेणेगमेव दव्वं जे बंधयरा भावा जेसि आउ-समाई जेसिंण सन्ति जोगा जेहिं अणेया जीवा जेहिं दु लक्खिज्जंते जोगा पयडि-पदेसे जो णेव सच्च-मोसो जो तस-वहाउ विरओ जं अण्णाणी कम्म जं च कामसुहं लोए जंथिरमज्झवसाणं जं सामण्णग्गहणं जं सामण्णंगहणं ज्झाएज्जो णिरवज्ज ज्झाणिस्स लक्खणं से ज्झाणोवरमे वि मुणी ज्ञानं प्रमाणमित्याहु ज्ञानं प्रमाणमित्याहु ज्ञो ज्ञेये कथमज्ञः
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155/1 232/2 104/1
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5/13 12/13 93/1 19/7 34/13 13/13 50/13 11/1 15/3 22/9
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ट्ठिदिघादे हमंते
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ण उ कुणइ पक्खवायं ण कसायसमुत्थेहि णट्ठासेस-पमाओ णत्थि चिरं वा खिप्पं
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