Book Title: Dhavala Uddharan
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir

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Page 299
________________ धवला उद्धरण 294 131 239 130 113 139 147 10/6 3/14 7/6 23/4 35/6 14/7 26/4 15/13 19/10 29/10 21/15 1/12 13/15 8/7 18/4 22/4 12/9 231/2 114 215 198 200 252 207 सम्मामिच्छाइट्ठी सरवासे दुपदंते जह सव्वम्हि ट्ठिदिविसेसे सव्वम्हि लोगखेत्ते सव्वाओ किट्टीओ सव्वारणीयं पुण सव्वासिं पगदीणं सव्वासु वट्टमाणा सव्वुवरि वेयणीए सव्वुवरि वेयणीए सव्वुवरि वेदणीए सर्वथा नियमत्यागी सर्वात्मकं तदेकं स्यात् सव्वे वि पुव्वभंगा सव्वे वि पोग्गला खलु सव्वे वि पोग्गला खलु सव्वं च लोयणालि सागारमणागारं सायारे पट्ठवओ सावण-बहुल-पडिवदे सावित्रो धुर्यसंज्ञश्च साहारणमाहारो साहारणमाहारो साहारणआहारो सिक्खा-किरियुवदेसा सिद्धतणस्सं जोग्गा जे सिद्धत्थ-पुण्ण-कुंभो सिद्धा णिगोदजीवा सिद्धार्थः सिद्धसेनश्च 250 145 112 113 165 5/6 73 130 22 111 47 97 243 57/1 14/4 145/1 74/3 22/14 97/1 95/1 13/1 16/3 15/4 33 111

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