Book Title: Dhavala Uddharan
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir

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Page 297
________________ धवला उद्धरण 292 10 52 102 विस-वेयन-रत्तक्खय विसहस्सं अडयालं वेउव्वियमुत्तत्थं वेदण-कसाय-वेउव्विय वेदस्सुदीरणाए व्यन्तरभेरीताडन व्यासं तावत्कृत्वा व्यासं षोडशगुणितं व्यासं षोडशगणितं 12/1 39/3 163/1 11/4 89/1 101/9 13/4 14/4 31 185 103 103 106 914 शब्दात्पदप्रसिद्धिः 10 षट्खण्डभरनाथं षष्ठ-सप्तमयोः शीतं षोडशशतंचतुस्त्रिंशत्कोटीनां 43/1 1/7 68/9 152 178 41 19 164 234 129 सकयगहलं जलं वा सकलभुवनैकनाथस् सक्कीसाणा पढमं सज्झायं कुव्वंतो सणिव्वरय-भवणेसु य सत्त एव सुण्ण पंच सत्त णव सुण्ण पंच सत्तसहस्सडसीदेहि सत्तहस्सा णवसद सत्ता जंतू य माई य 122/1 44/1 10/9 21/13 3/6 72/3 4/4 73/3 43/9 82/9 96 105 97 172

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