Book Title: Dhavala Uddharan
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir
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गाथानुक्रमणिका वयणं दु समभिरुढं वय-समिइ-कसायाणं ववहारस्स दु वयणं जइया वाउब्भामो उक्कलि वारस दस अट्ठेव य वारस दस अट्ठेव य वासस्स पढममासे वासस्स पढममासे वासाणूणत्तीसं पंच वाहिरसूईवग्गो विक्खंभवग्गदसगुण विकहा तहा कसाया विग्गह-गइमावण्ण विगतार्थागमने वा विघ्नाः प्रणश्यन्ति भयं न जातु विणएण सुदमधीदं विणएण सुदमधीदं विधिविषक्त प्रतिषेधरूपः वियोजयति चासुभिर्न च वधे विरलिदइच्छं विगुणिय विरियोवभोग-भोगे विरोधान्नोभयकात्म्य विवरीयमोहिणाणं विविह-गुण-इडिढ-जुत्तं विविह-गुण-इडिढ-जुत्तं विविहं पदमुद्दिजें विस-जंत-कूड-पंजर विसमगुणादेगूणं विसमं हि समारोह
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